नई दिल्ली, ,18 दिसंबर 2022 : केंद्र सरकार ने 2016 में नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर दिया था। इसके बाद 500 और 2,000 रुपये के नोट जारी किए गए थे। उसी दौरान कई विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया था कि बड़े नोटों का हवाला देकर ही सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को बंद किया था। ऐसे में अब 2,000 के नोटों का प्रचलन शुरू करने से क्या लाभ है? अब ऐसी ही मांग भाजपा के ही राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने भी दोहराई है। उन्होंने सोमवार को राज्यसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2,000 रुपये के नोटों का आपराधिक गतिविधियों व अवैध व्यापार में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। लिहाजा सरकार को इसे चरणबद्ध तरीके से बंद कर देना चाहिए।
RBI तीन साल से नहीं छाप रहा 2000 रुपए का नोट
केंद्र सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी. इसके तहत 500 और 1,000 रुपए के नोटों को अवैध घोषित कर चलन से बाहर कर दिया गया था. सरकार ने कुछ दिनों के बाद उनके स्थान पर 500 रुपए और 2,000 रुपए के नए नोट जारी किए थे. बीजेपी सदस्य मोदी ने दावा किया कि पिछले तीन वर्ष से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2,000 रुपए के नोटों की छपाई बंद कर दी है और बड़ी संख्या में 2,000 रुपए के नकली नोट जब्त भी किए जा रहे हैं.
2000 रुपए का नोट ब्लैक में मिल रहा है
उन्होंने कहा, ‘‘बड़े पैमाने पर लोगों ने 2,000 के नोटों की जमाखोरी कर रखी है. केवल अवैध व्यापार में इसका इस्तेमाल हो रहा है. कुछ जगहों पर यह ब्लैक में भी मिल रहा है व प्रीमियम पर बिक रहा है.’’ उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों, धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण में सहित कई अपराधों में इन नोटों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है.