रायपुर। हिंदी साहित्य के वरिष्ठ रचनाकार, कवि और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल का मंगलवार को निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका उपचार रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
विनोद कुमार शुक्ल के निधन से न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के साहित्यिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्हें हिंदी साहित्य के उन विशिष्ट रचनाकारों में गिना जाता था, जिनकी भाषा सरल होते हुए भी गहन संवेदना, मानवीय अनुभव और दार्शनिक दृष्टि से भरपूर थी।
उनकी प्रमुख कृतियों में ‘नौकर की कमीज’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और कई चर्चित कविता संग्रह शामिल हैं। उनकी रचनाओं में आम आदमी का जीवन, अकेलापन, संघर्ष और सामाजिक यथार्थ अत्यंत सहजता से अभिव्यक्त होता है, जो पाठकों को गहराई से प्रभावित करता है।
साहित्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें अनेक सम्मान प्राप्त हुए। इसी वर्ष उन्हें प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया था। अस्वस्थता के कारण यह सम्मान उन्हें उनके निवास पर प्रदान किया गया था।
विनोद कुमार शुक्ल का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके निधन को हिंदी साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। साहित्य प्रेमियों के बीच उनकी रचनाएं और विचार हमेशा जीवित रहेंगे।