ब्रिटेन की 9 यूनिवर्सिटियां भारत में खोलेंगी कैंपस: पीएम मोदी बोले – युवाओं को मिलेगा रोजगार, शिक्षा और तकनीक में नए अवसर

नई दिल्ली | 9 अक्टूबर 2025
भारत और ब्रिटेन के बीच संबंधों को नई ऊँचाई पर ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला हुआ है। ब्रिटेन की 9 प्रमुख यूनिवर्सिटियां अब भारत में अपने कैंपस खोलेंगी। यह निर्णय ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक में लिया गया।

बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्रिटेन की यूनिवर्सिटियों के भारत आने से देश के युवाओं को रोजगार, कौशल विकास और विश्वस्तरीय शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे।

🎓 कौन-कौन सी यूनिवर्सिटियां खोलेंगी कैंपस?

ब्रिटिश उच्च शिक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में कैंपस खोलने वाली नौ यूनिवर्सिटियों में शामिल हैं:

  1. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (University of Oxford)
  2. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge)
  3. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE)
  4. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL)
  5. मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी (University of Manchester)
  6. एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी (University of Edinburgh)
  7. वारविक यूनिवर्सिटी (University of Warwick)
  8. ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी (University of Bristol)
  9. इंपीरियल कॉलेज लंदन (Imperial College London)

इन कैंपसों की स्थापना दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद और पुणे जैसे शहरों में चरणबद्ध तरीके से की जाएगी।

🏫 कैंपस कब से शुरू होंगे?

सूत्रों के अनुसार, पहले तीन विश्वविद्यालयों के कैंपस 2026 के मध्य तक शुरू होने की संभावना है। शेष संस्थानों की योजनाएं अगले दो वर्षों में पूरी की जाएंगी।
प्रत्येक कैंपस में इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, और जलवायु परिवर्तन जैसे 21वीं सदी के प्रमुख विषयों पर पाठ्यक्रम उपलब्ध होंगे।

💬 पीएम मोदी का बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के बाद कहा,

“भारत और ब्रिटेन के बीच शिक्षा क्षेत्र में यह समझौता हमारे युवाओं के लिए नई संभावनाएं लेकर आएगा। यह न केवल रोजगार सृजन करेगा बल्कि हमारे देश में विश्वस्तरीय रिसर्च और नवाचार को भी गति देगा।”

उन्होंने आगे कहा कि भारत में ब्रिटिश कैंपसों के खुलने से ‘ग्लोबल एजुकेशन हब’ के रूप में देश की पहचान और मजबूत होगी।

🇬🇧 ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर का वक्तव्य

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि यह कदम भारत-यूके साझेदारी को एक नई दिशा देगा।

“हम चाहते हैं कि ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली भारत के युवा टैलेंट के साथ मिलकर काम करे। यह साझेदारी सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इनोवेशन और रोजगार के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाएगी।”

उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार भारत में शिक्षा के साथ-साथ स्टार्टअप और रिसर्च निवेश को भी बढ़ावा देगी।

💡 क्या होगा भारत को फायदा?

इस फैसले के बाद भारत में उच्च शिक्षा का स्तर और अवसर दोनों बढ़ेंगे।

  • छात्रों को विदेश गए बिना विश्वस्तरीय डिग्री प्राप्त करने का मौका मिलेगा।
  • ब्रिटिश विश्वविद्यालयों की उपस्थिति से रिसर्च और नवाचार केंद्रों का विकास होगा।
  • स्थानीय उद्योगों को उच्च कौशल वाले ग्रेजुएट्स उपलब्ध होंगे।
  • रोजगार और स्टार्टअप अवसरों में वृद्धि होगी।
  • शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश भी बढ़ेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारत के शिक्षा क्षेत्र में विदेशी विश्वविद्यालयों की प्रवेश नीति (2020 के नई शिक्षा नीति – NEP) के अनुरूप है।

📊 ट्रेड और एजुकेशन पैक्ट का हिस्सा

यह समझौता भारत-यूके Comprehensive Economic and Trade Agreement (CETA) का हिस्सा है।
बैठक में दोनों पक्षों ने यह स्पष्ट किया कि शिक्षा के साथ-साथ यह साझेदारी टेक्नोलॉजी, फिनटेक, डिफेंस और ग्रीन एनर्जी क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाएगी।

वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि ब्रिटेन से शिक्षा क्षेत्र में 2 अरब डॉलर से अधिक का निवेश आने की उम्मीद है।

🏗️ भारत में ब्रिटिश एजुकेशन का विस्तार मॉडल

इन विश्वविद्यालयों के भारत में खुलने वाले कैंपस पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर विकसित किए जाएंगे।
भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकारें भूमि, टैक्स रियायतें और बुनियादी ढांचा समर्थन प्रदान करेंगी।
वहीं विश्वविद्यालय स्वयं शिक्षक, पाठ्यक्रम और शोध सामग्री की व्यवस्था करेंगे।

🌍 भारत की बढ़ती ग्लोबल एजुकेशन पोज़िशन

2024 में जारी QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुसार, भारत की कई संस्थाएं — IIT बॉम्बे, IISc बेंगलुरु, और दिल्ली यूनिवर्सिटी — शीर्ष 200 में शामिल हैं।
ब्रिटिश संस्थानों के आने से यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है।
यह साझेदारी भारत को ‘Study in India’ अभियान को गति देने में भी मदद करेगी।

👩‍🎓 छात्रों में उत्साह

रायपुर, पुणे और दिल्ली जैसे शहरों में छात्रों ने इस घोषणा का स्वागत किया है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा रिया अग्रवाल ने कहा,

“अब हमें विदेश गए बिना ही ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज जैसे संस्थानों की शिक्षा मिलेगी। यह हमारे लिए एक सुनहरा अवसर है।”

🔍 मुख्य बिंदु एक नजर में

  • ब्रिटेन की 9 यूनिवर्सिटियां भारत में खोलेंगी कैंपस
  • पीएम मोदी बोले – “इससे युवाओं को रोजगार और शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे”
  • कैंपस दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और अहमदाबाद में खुलेंगे
  • 2026 तक पहले तीन संस्थान शुरू होंगे
  • यह निर्णय भारत-यूके ट्रेड और एजुकेशन समझौते का हिस्सा
  • ब्रिटिश निवेश: लगभग 2 अरब डॉलर
  • स्टार्टअप, रिसर्च और तकनीकी सहयोग पर भी फोकस

🏁 निष्कर्ष

ब्रिटिश यूनिवर्सिटियों के भारत में आने से देश के शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है।
यह केवल शिक्षा का आयात नहीं, बल्कि ज्ञान, कौशल और नवाचार का वैश्विक आदान-प्रदान है।
प्रधानमंत्री मोदी और कीर स्टारमर की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक शिक्षा केंद्र (Global Education Hub) बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

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