बिजली कटौती, अवैध खनन और महिला कल्याण योजनाओं पर तीखी बहस
राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र राजनीतिक आरोप–प्रत्यारोप और तीखी बहसों के बीच जारी रहा। सत्र के दौरान बिजली कटौती, अवैध खनन और महिला कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने–सामने नजर आए। इन मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए विपक्ष ने सरकार से स्पष्ट जवाब देने की अपील की।
बिजली कटौती का मुद्दा
विपक्षी सदस्यों ने राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार हो रही बिजली कटौती का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे आम जनता, किसान और उद्योग सभी प्रभावित हो रहे हैं। विपक्ष का आरोप था कि पर्याप्त उत्पादन और वितरण के दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति संतोषजनक नहीं है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि मांग बढ़ने और तकनीकी कारणों से अस्थायी समस्याएं आई हैं, जिनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
अवैध खनन पर सवाल
सत्र के दौरान अवैध खनन का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि नियमों की अनदेखी कर खनन गतिविधियां चल रही हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान और राजस्व की हानि हो रही है। सरकार ने जवाब में बताया कि अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए निगरानी बढ़ाई गई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
महिला कल्याण योजनाओं पर बहस
महिला कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर भी सदन में विस्तृत चर्चा हुई। विपक्ष ने कुछ योजनाओं के लाभ अंतिम व्यक्ति तक न पहुंचने का आरोप लगाया, जबकि सरकार ने आंकड़ों के साथ जवाब देते हुए कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं प्रभावी रूप से लागू की जा रही हैं।
सदन की कार्यवाही
लगातार हंगामे और नारेबाजी के कारण सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए बाधित रही। अध्यक्ष ने सदस्यों से संयम बरतने और जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा करने की अपील की।
आगे की स्थिति
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यदि इन मुद्दों पर सहमति और संवाद नहीं बना, तो सत्र के शेष दिनों में भी कार्यवाही प्रभावित हो सकती है। जनता की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि सरकार और विपक्ष इन अहम विषयों पर क्या ठोस निर्णय लेते हैं।
