सुप्रीम कोर्ट में डिजिटल डेटा सुरक्षा कानून पर सुनवाई — निजता संरक्षण से जुड़ी खामियों पर होगी चर्चा

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2025

सुप्रीम कोर्ट आने वाले दिनों में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Digital Personal Data Protection Act) के कार्यान्वयन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रहा है। इन याचिकाओं में कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर निजता के अधिकार (Right to Privacy) से जुड़ी चिंताओं को उठाया गया है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस कानून में डेटा सुरक्षा और सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही को लेकर पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं। उनका तर्क है कि कानून में कुछ ऐसे हिस्से हैं जो नागरिकों की निजी जानकारी तक पहुंच और उसके उपयोग को लेकर अस्पष्ट हैं।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला देश में डिजिटल निजता की सीमाओं और सरकारी नियंत्रण के बीच संतुलन तय करने में अहम साबित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी 2017 में ऐतिहासिक ‘पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ’ (Puttaswamy vs Union of India) फैसले में निजता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी।

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 का उद्देश्य नागरिकों के डिजिटल डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और डेटा प्रोसेसिंग से जुड़े नियमों को स्पष्ट करना है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इसके कुछ प्रावधान सरकारी एजेंसियों को व्यापक छूट देते हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं।

इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत यह तय कर सकती है कि नागरिकों की निजता की रक्षा के लिए किन अतिरिक्त प्रावधानों या संशोधनों की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई आने वाले समय में भारत की डिजिटल निजता नीति और डेटा सुरक्षा ढांचे की दिशा तय करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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