न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और नागरिक-अनुकूल सूचना उपलब्धता को सुदृढ़ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाईकोर्ट को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि प्रत्येक हाईकोर्ट अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक समर्पित डैशबोर्ड (Decision Dashboard) विकसित करे, जिसमें सुरक्षित रखे गए (Reserved) और सुनाए गए (Pronounced) फैसलों का तुलनात्मक और स्पष्ट विवरण उपलब्ध कराया जाए।
🔍 उद्देश्य: न्यायिक पारदर्शिता और सूचना-प्रवाह को मजबूत करना
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय कई स्तरों पर न्यायिक प्रक्रिया को अधिक structured और accessible बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। डैशबोर्ड के लागू होने से—
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नागरिकों, वकीलों और शोधार्थियों को एक ही प्लेटफॉर्म पर निर्णयों की स्थिति उपलब्ध होगी
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लंबित फैसलों के संबंध में डेटा-आधारित मॉनिटरिंग संभव होगी
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कोर्ट प्रशासन को प्रक्रिया प्रबंधन और समय सीमा अनुपालन में सहायता मिलेगी
⚖️ न्यायपालिका के डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन में बड़ा कदम
यह निर्देश भारत की न्यायपालिका को डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन और e-governance framework के अगले चरण में ले जाने वाला माना जा रहा है। Supreme Court की मंशा है कि—
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निर्णय प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित (streamlined) बने
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देरी को लेकर उठने वाले प्रश्नों को डेटा-ट्रांसपेरेंसी के माध्यम से संबोधित किया जाए
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अदालतों में लंबित मामलों और रिज़र्व्ड जजमेंट्स पर real-time visibility सुनिश्चित हो
🌐 आने वाले समय में बढ़ेगी सार्वजनिक जवाबदेही
इस पहल से न्यायालयों की कार्यप्रणाली पर जनता का विश्वास और अधिक मजबूत होने की उम्मीद है।
डैशबोर्ड मॉडल से—
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Accountability
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Efficient Tracking
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Operational Transparency
जैसे तत्व न्याय प्रणाली में और गहराई से स्थापित होंगे।