बिलासपुर में राज्य का इकलौता मानसिक अस्पताल बदहाल, हाईकोर्ट सख्त

बिलासपुर | 30 जून 2025
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सकरी क्षेत्र में स्थित राज्य का एकमात्र मानसिक रोग चिकित्सालय (मेंटल हॉस्पिटल) बदहाली और अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। कोर्ट कमिश्नर द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट में अस्पताल की स्थिति को गंभीर, उपेक्षित और चिंताजनक बताया गया है।


🔹 हाईकोर्ट में पेश हुई रिपोर्ट, सचिव से मांगा शपथ पत्र

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में) ने कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य सचिव को 27 जून तक शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई अब 16 जुलाई को होगी।


🔹 निरीक्षण में उजागर हुईं ये प्रमुख खामियां:

✔️ डॉक्टर और स्टाफ समय पर ड्यूटी पर नहीं आते
✔️ बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं होती, जिससे अनुशासनहीनता फैली हुई है
✔️ अस्पताल भवन जर्जर, दीवारें गंदी और बाथरूम बदबूदार
✔️ सीटी स्कैन जैसी जरूरी सुविधाएं तक नहीं हैं
✔️ ओपीडी में हर दिन 150 मरीज आते हैं, मगर कोई टोकन व्यवस्था नहीं
✔️ वाटर कूलर गंदे, डिस्प्ले बोर्ड अस्पष्ट, मरीजों को जानकारी नहीं मिलती


🔹 अस्पताल अधीक्षक ने खुद मानीं खामियां

कोर्ट कमिश्नर ऋषि राहुल सोनी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि अधीक्षक डॉ. प्रभु कुमार चौधरी ने स्वयं स्वीकार किया कि रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था अव्यवस्थित है। उन्होंने यह भी बताया कि टोकन सिस्टम की स्वीकृति के लिए शासन से मांग की गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।


🔹 कोर्ट की नाराज़गी, व्यवस्थाओं में सुधार के संकेत

हाईकोर्ट ने रिपोर्ट को बेहद गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को जवाबदेह ठहराया है। अदालत ने संकेत दिए हैं कि अगर स्थिति में शीघ्र सुधार नहीं हुआ, तो सख्त आदेश जारी किए जाएंगे।


यह रिपोर्ट राज्य के मानसिक स्वास्थ्य ढांचे की वास्तविक तस्वीर पेश करती है, जो न केवल चिंताजनक है, बल्कि तात्कालिक सुधार की मांग भी करती है।


📌 यदि आप चाहें तो मैं इस रिपोर्ट को

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