गंगा नदी पर 1716 करोड़ में बन रहा पुल भर-भराकर गिरा, 9 साल में 8 बार समय-सीमा बढ़ाती रही सरकार

पटना , 05 जून 2023 : Bhagalpul Bridge Collapsed : बिहार में गंगा नदी पर 1716 करोड़ की लागत से बन रहा पुल रविवार को ताश के पत्तों की तरह भर-भराकर गिर गया. सीएम नीतीश कुमार ने फरवरी, 2014 में पुल का शिलान्यास किया था. तब दावा था कि 2019 तक पुल बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन पुल बनना तो दूर 9 साल में सरकार 8 बार समय-सीमा बढ़ाती रही. आखिरकार भ्रष्टाचार का यह पुल ध्वस्त हो गया. सरकारी एजेंसियों और निर्माण एजेंसियों की मिलीभगत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यह पुल दूसरी बार ढहा है और घटिया निर्माण की तरफ सरकार आंख मूंदकर बैठी रही. हालांकि पुल ढहने के बाद जब सरकार की आलोचना होने लगी तब सीएम नीतीश कुमार ने जांच के निर्देश दिए हैं. वहीं, बीजेपी ने पूरे मामले में सरकार को घेरा है.
गंगा नदी पर भागलपुर के सुल्तानगंज से खगड़िया के अगुवानी के बीच बन रहा फोरलेन पुल निर्माण के दौरान दूसरी बार ढह गया. इसी महीने जून 2023 में पुल का काम पूरा नहीं होने पर सरकार ने आठवीं बार पुल को पूरा करने की समय-सीमा बढ़ाई थी. रविवार को जब यह पुल ढहा तो सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उसे देखा. कुछ लोगों ने इसकी वीडियो बनाई और देखते ही देखते यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जब पुल ढहा तब कई मजदूर ऊपर काम कर रहे थे. हालांकि अभी तक किसी की मौत की पुष्टि नहीं हुई है.
बता दें कि 23 फरवरी, 2014 को पुल के लिए आधारशिला रखी गई थी और 9 मार्च, 2015 को सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी में काम शुरू हुआ था. तब मार्च 2019 तक पुल का काम पूरा होने का दावा किया था, लेकिन निर्धारित समय में सिर्फ 25% काम हुआ था. पहली बार सरकार ने इसी समय में काम की अवधि मार्च 2020 यानी एक साल के लिए बढ़ा दी.
ठेका कंपनी एसपी सिंघला कंपनी पर सरकार किस तरह मेहरबान थी, यह अंदाजा लगा सकते हैं कि 2020 में जब काम पूरा नहीं हुआ तो सीधे दो साल का और वक्त दे दिया गया, यानी मार्च 2022 तक काम पूरा करना था. आखिरकार वह तारीख भी आ गई और सरकार ने जून 2022 तक के लिए तीन महीने का समय और दिया. इसी बीच पुल का पाया संख्या 4-5 और 6 के बीच सुपर स्ट्रक्चर हवा के झोंके में गिर गया.
आंख मूंदकर बैठी सरकार ने एसपी सिंघला कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर आंख खोलकर भी नहीं देखा. पुल ढहने के बाद जून 2022 तक काम पूरा वैसे भी नहीं होना था और हुआ भी नहीं, इसलिए सरकार ने पहले दिसंबर 2022, फिर मार्च 2023 और अंतिम बार जून 2023 तक की समय सीमा बढ़ाई. इस तरह 9 साल में आठ बार अतिरिक्त समय मिलने के बावजूद काम पूरा होना तो दूर पुल के ढहने से नीतीश सरकार और ठेका कंपनी की मिलीभगत का भी पर्दाफाश हो गया.

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