बस्तर का “टाटामारी ” इको टूरिस्म ” का खूबसूरत नया डेस्टिनेशन,जानें क्या है खास

रायपुर । छत्तीसगढ़ का टाटामारी क्षेत्र अब तेजी से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। घने जंगलों, ऊंची पहाड़ियों और प्राकृतिक झरनों के बीच बसा यह स्थल उन लोगों के लिए खास है जो शांति, रोमांच और प्रकृति का असली आनंद लेना चाहते हैं।

कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति लौटने के बाद प्रशासन ने टाटामारी को पर्यटन नक्शे पर लाने की पहल की है। यहां की पहाड़ी चोटियाँ, हरियाली और सूर्योदय का मनोरम दृश्य लोगों को मोहित कर रहा है। टाटामारी से दिखने वाला सूरज का दृश्य मानो आसमान को सुनहरी चादर में ढक देता है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, पहले यह इलाका कम लोगों को ही ज्ञात था, लेकिन हाल के वर्षों में सड़क सुविधा और सुरक्षा बढ़ने से यहां पर्यटकों की आवाजाही में तेजी आई है। आसपास के गाँवों के युवा अब होमस्टे और गाइड सेवा के ज़रिए रोजगार भी प्राप्त कर रहे हैं।

पर्यटन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टाटामारी को इको-टूरिज्म मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग और नेचर फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। साथ ही, स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक व्यंजन भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।

सुरम्य प्राकृतिक सौंदर्य, पहाड़ी हवाओं और स्थानीय आतिथ्य से सजा टाटामारी आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल होने की ओर अग्रसर है।

🌿 टाटामारी: छत्तीसगढ़ का उभरता प्राकृतिक पर्यटन स्थल

 छत्तीसगढ़ के हरे-भरे अंचल में बसा टाटामारी अब राज्य का नया पर्यटन आकर्षण बनता जा रहा है। प्राकृतिक झरनों, घने जंगलों और पहाड़ी दृश्यों से सजा यह इलाका पर्यटकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

स्थानीय लोगों की मानें तो कुछ साल पहले तक यह स्थान केवल आसपास के गाँवों तक सीमित था, लेकिन अब पर्यटन विभाग की पहल और बेहतर सड़क संपर्क के कारण यहां देशभर से सैलानी पहुँचने लगे हैं।

🌄 सुबह की पहली किरण से सजी पहाड़ियाँ

टाटामारी की सबसे बड़ी खासियत है यहां से दिखने वाला सूर्योदय का नज़ारा। जब सूरज की पहली किरणें पहाड़ियों पर पड़ती हैं, तो पूरा इलाका सुनहरी चमक में नहा जाता है। यही कारण है कि यह जगह अब फोटोग्राफी प्रेमियों की पसंदीदा डेस्टिनेशन बन गई है।

फोटो कैप्शन:
“टाटामारी की पहाड़ियों से दिखता सूर्योदय — प्रकृति का अद्भुत नज़ारा।”

🌳 पर्यावरण और रोजगार का नया मॉडल

टाटामारी में इको-टूरिज्म के तहत कई योजनाएँ शुरू की गई हैं। स्थानीय युवाओं को गाइड, ट्रेकिंग सहायक और होमस्टे संचालक के रूप में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि ग्रामीणों के लिए नए रोजगार के अवसर भी बन रहे हैं।

🏕️ क्या खास है टाटामारी में?

  • मनमोहक पहाड़ियाँ और हरियाली

  • प्राकृतिक झरनों का संगीत

  • ट्रेकिंग और बर्ड वॉचिंग की सुविधा

  • स्थानीय व्यंजन और आतिथ्य

  • शांत, प्रदूषण-मुक्त वातावरण

🗺️ कैसे पहुँचें?

टाटामारी, कांकेर जिले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रायपुर से कांकेर होते हुए सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन दुर्ग/रायपुर है, जबकि निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर है