“सुशासन एक्सप्रेस” बना ग्रामीणों की उम्मीद की रफ्तार

कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह की पहल से रायपुर में 67 हज़ार से अधिक लोगों का घर बैठे काम
रायपुर। नाम मात्र खर्च में रायपुर जिला प्रशासन ने एक बड़ी पहल की है। कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने कबाड़ हो चुकी एंबुलेंसों को मरम्मत कराकर उन्हें “सुशासन एक्सप्रेस” का रूप दिया और अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम बनाकर गांव-गांव दौड़ा दिया।
👉 गांवों में सुशासन एक्सप्रेस आने से पहले सूचना दे दी जाती है, ताकि लोग समय पर अपने कागज़ों और समस्याओं के साथ पहुंच सकें। यह “वन-स्टॉप कैंप” की तरह काम करता है, जहां पटवारी, पंचायत सचिव, स्वास्थ्य टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य विभागों के कर्मचारी मौजूद रहते हैं।
67,000 से ज्यादा लोगों को मिला त्वरित लाभ
अब तक 75,864 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 67,788 का त्वरित निराकरण हो चुका है। इसके तहत –
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15,741 लोगों को आय प्रमाण पत्र
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5741 को जाति प्रमाण पत्र
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4273 को निवास प्रमाण पत्र
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7536 को आयुष्मान भारत कार्ड
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6014 को राशन कार्ड
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8269 को ड्राइविंग लाइसेंस
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2051 को नरेगा जॉब कार्ड
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577 को जन्म प्रमाण पत्र
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4093 श्रमिकों को श्रम कार्ड
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814 को पेंशन
सहित कई अन्य सेवाएं सीधे गांव में उपलब्ध कराई गईं।
मुख्यमंत्री ने दिखाई थी हरी झंडी
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 29 मई को सुशासन एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इसके पहले चरण में अभनपुर, आरंग, धरसींवा और तिल्दा विकासखंड की 300 से ज्यादा पंचायतों और आरंग नगर पंचायत के 17 वार्डों में कैंप लगाए गए। सफलता के बाद अब इसका दूसरा चरण शुरू हो चुका है।
ग्रामीणों की राय
ग्राम संकरी के उत्तम साहू कहते हैं – “पहले लाइसेंस बनवाने के लिए शहर जाना पड़ता था, अब गांव में ही सुशासन रथ आया और मुझे लर्निंग लाइसेंस मिल गया।”
सांकरा के राजेश यादव बताते हैं – “राशन कार्ड के लिए कई बार पंचायत कार्यालय जाना पड़ता था, लेकिन सुशासन एक्सप्रेस से यह काम घर के पास ही हो गया।”
कलेक्टर का कहना
कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह ने कहा –
“जनसमस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए सुशासन एक्सप्रेस एक अभिनव प्रयोग है। कंडम एंबुलेंसों को उपयोगी बनाकर बिना बजट खर्च के इस पहल को शुरू किया गया। इसका उद्देश्य शासन की योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक तेजी से पहुंचाना है।”