सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल युग में निजता के अधिकार की पुष्टि की — बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी नागरिक के डेटा तक पहुंच नहीं

अदालत ने कहा — “निजता संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार है, डिजिटल तकनीक इसका हनन करने का माध्यम नहीं बन सकती”

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर 2025
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि डिजिटल युग में भी नागरिकों की निजता (Privacy) उतनी ही महत्वपूर्ण और संरक्षित है जितनी किसी अन्य मौलिक अधिकार की। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति के निजी डेटा या डिजिटल जानकारी तक बिना कानूनी प्रक्रिया के पहुंचना असंवैधानिक है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा —

“निजता का अधिकार केवल शारीरिक या व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं, बल्कि डिजिटल जीवन पर भी लागू होता है। सरकार या कोई एजेंसी कानूनन प्रक्रिया का पालन किए बिना नागरिक के डेटा तक नहीं पहुंच सकती।”

यह फैसला देश में डेटा सुरक्षा और डिजिटल स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। अदालत ने कहा कि नागरिकों की ऑनलाइन गतिविधियों, सोशल मीडिया, बैंकिंग जानकारी और मोबाइल डेटा पर भी निजता का समान अधिकार लागू होगा।

पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें डिजिटल डेटा के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े दिशा-निर्देश और तंत्र विकसित करें, ताकि नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रह सके।

कानूनी विशेषज्ञों ने इस निर्णय को भारत में डिजिटल लोकतंत्र को मजबूत करने वाला फैसला बताया है। उनका कहना है कि यह फैसला उन सभी संस्थाओं और एजेंसियों के लिए स्पष्ट संदेश है जो निगरानी या डेटा संग्रहण के नाम पर नागरिकों की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं।