NEET BREAKING…..नीट परीक्षा रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, दोबारा नहीं होगा एग्जाम

नीट यूजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा परीक्षा कराने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पूरे देश में पेपर लीक होने के पर्याप्त सबूत नहीं है, ऐसे में एग्जाम रद्द करने की मांग सही नहीं है। पूरे देश में दोबारा परीक्षा कराने से 24 लाख छात्रों पर असर पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने निर्देश पर आईआईटी विशेषज्ञों ने मंगलवार को अदालत में विवादित प्रश्न को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें ऑप्शन 4 को सही उत्तर माना गया। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह सही है कि पेपर लीक हजारीबाग और पटना में हुआ लेकिन यह विवाद का विषय नहीं है।

हालांकि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया कि यह कैसे कहा जा सकता कि नीट का पेपर हजारीबाग और पटना के बाहर व्हाट्सऐप से नहीं भेजा गया होगा।

सोमवार को कोर्ट ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक को मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट के विवादित प्रश्न के सही उत्तर पर राय बनाने के लिए संबंधित विषय के तीन विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने करने को कहा था। अदालत ने समिति को मंगलवार दोपहर 12 बजे तक सही जवाब के बारे में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। नीट यूजी में अनियमितता के आरोपों से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि नीट पेपर लीक पूरे देश में फैल गया या यह बड़े पैमाने पर लीक हुआ, इसके अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं है। पूरे देश में पेपर लीक होने की बात साबित करने के लिए अदालत के समक्ष कोई ठोस आधार रखा जाए। अगर कुछ सेंटरों के ज्यादा मार्क्स देखने में आए हैं तो उन्हें पेपर लीक से कैसे जोड़ें। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ नीट को लेकर दायर 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि बिहार पुलिस द्वारा आरोपियों के दर्ज बयानों से पता चलता है कि नीट पेपर लीक एक दिन पहले 4 मई को हुआ था। याचिकाकर्ताओं ने वकील ने यह भी मांग की कि 5 मई को हुई नीट को प्रीलिम्स मान लिया जाए और अब मेन्स परीक्षा कराई जाए। एक अन्य सुझाव यह दिया कि सभी नीट क्वालिफाई करने वाले स्टूडेंट्स को एक बार फिर से टेस्ट होना चाहिए।

विवादित प्रश्न का मामला
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 720 में से 711 अंक पाने वाली छात्रा की ओर से पेश दलीलों पर संज्ञान लेते हुए आईआईटी को आदेश दिया। पीठ को बताया गया कि परीक्षा में ‘परमाणु और उसकी विशेषताओं से संबंधित एक प्रश्न के दो सही उत्तर थे और परीक्षार्थियों के एक समूह, जिन्होंने दो सही उत्तरों में से एक विशेष उत्तर दिया था, उन्हें चार अंक दिए गए। याचिकाकर्ता वंशिका यादव की ओर से पीठ को बताया गया कि एनटीए द्वारा जारी मानकों के हिसाब से सही उत्तर चुनने पर सफल उम्मीदवारों की अंतिम मेधा सूची पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा । इसके बाद पीठ ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक को समिति बनाने और मंगलवार दोपहर 12 बजे तक सही जवाब की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष पेश करने को कहा है।

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