1962 की बात है। रतन नवल टाटा ने न्यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की थी। उन्होंने वहीं एक नौकरी जॉइन कर ली। उनकी एक गर्लफ्रेंड भी थी। उनकी अपने पिता से नहीं बनती थी, इसलिए वो भारत नहीं लौटना चाहते थे।
रतन एक इंटरव्यू में बताते हैं कि वो अपनी दादी के बहुत करीब थे, क्योंकि उन्होंने ही उनकी परवरिश की थी। दादी ने रतन को भारत आने कहा और वो नौकरी छोड़कर भारत आ गये। 15 दिन के भीतर जमशेदनगर जाकर कंपनी में काम करना शुरू किया।
वरिष्ठ पत्रकार गिरीश कुबेर अपनी किताब ‘द टाटाज: हाउ ए फैमिली बिल्ट ए बिजनेस एंड ए नेशन’ में लिखते हैं- टाटा के साथ उनकी गर्लफ्रेंड भी आई थी। कुछ दिनों में वो अमेरिका लौट गई, क्योंकि वो यहां की लाइफ स्टाइल में एडजस्ट नहीं हो पाई। इसके बाद कई मौके आए, लेकिन टाटा ने आजीवन शादी नहीं की।