छत्तीसगढ़ में सारस (क्रेन) पक्षियों की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। राज्य में अब सिर्फ एक जोड़ा बचा है, जो सरगुजा जिले के लखनपुर ब्लॉक में पाया जाता है। यह जोड़ा राज्य में अपनी प्रजाति का आखिरी प्रतिनिधि है। हाल ही में इनकी स्थिति पर एक शोध किया गया, जिसमें प्रतीक ठाकुर, एएम के भरोस, डॉ हिमांशु गुप्ता और रवि नायडू ने भाग लिया। इस शोध में सारस पक्षियों की घटती संख्या को संकटपूर्ण बताया गया है।
सारस की संख्या में बड़ी गिरावट
सरगुजा जिले में 255 से ज्यादा पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें सारस क्रेन का महत्व खास है। 20 साल पहले, प्रदेश में सारस के 8 से 10 जोड़े यानी लगभग 20 पक्षी थे। 2015 में यह संख्या घटकर सिर्फ 4 जोड़े यानी 8 रह गई थी, और अब 2025 में केवल एक जोड़ा बचा है। इस गिरावट को देखते हुए यह साफ है कि आसपास के पर्यावरण में बड़ी गड़बड़ी हुई है।
चौंकाने वाले तथ्य सामने आए
सारस के बारे में हाल ही में हुए शोध में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। प्रतीक ठाकुर ने बताया कि लखनपुर के जमगला और तराजू वाटर टैंक के आसपास सारस का यह जोड़ा पिछले कई सालों से देखा जा रहा है। 2022 में इनके दो चूजे हुए थे, जिससे उम्मीद थी कि इनकी संख्या बढ़ेगी। लेकिन दिसंबर 2023 में एक चूजा जंगली जानवरों के हमले में मारा गया।
सारस की प्रजनन प्रक्रिया और खतरे
सारस पक्षी एक समय में दो बच्चे पैदा करते हैं, लेकिन इनमें से एक बच्चा वयस्क होने से पहले ही मर जाता है। दूसरा चूजा ही वयस्क हो पाता है। हालांकि, हाल ही में लापता चूजा भी अपनी ज़िंदगी की खोज में हो सकता है। इस जोड़े का मुख्य निवास लखनपुर है, लेकिन भोजन की तलाश में ये आसपास के खेतों, तालाबों और नदी के किनारे तक जाते हैं।
खतरों का सामना
सारस पक्षियों को कई प्रकार के खतरे हैं, जैसे तालाबों में मछली पकड़ने की बढ़ती गतिविधियां, जालों से घोंसलों को नुकसान, रसायनों का इस्तेमाल, आवारा कुत्तों का हमला, और अवैध रेत खनन के कारण इनका प्राकृतिक आवास खत्म हो रहा है। हालांकि, प्रशासन और पर्यावरण कार्यकर्ता सारस को बचाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं।
नई जानकारी: हिमालय का शिकारी परिंदा
सारस पक्षियों के संकट के बीच, रिसर्च टीम ने बिलासपुर के सीपत डैम और सरगुजा के तराजू गांव में ‘पूर्वी मार्श हैरियर’ नामक शिकारी पक्षी को देखा। यह पक्षी एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसे पहली बार देखा गया है।
प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र पर बढ़ते दबाव को देखते हुए सारस की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।