बांग्लादेश में नई करेंसी से हटा शेख मुजीब का फोटो, अब नोटों पर दिखेगा सांस्कृतिक और धार्मिक वैभव

बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने 1000, 50 और 20 टका के नए नोट जारी किए हैं, जिनसे देश के संस्थापक राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटा दी गई है। बैंक ने बताया कि आने वाले समय में 500, 200, 100 और 10 टका के नोट भी इसी नए डिज़ाइन में जारी किए जाएंगे।

बांग्लादेश सेंट्रल बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने बताया कि अब नोटों में किसी भी व्यक्ति की तस्वीर नहीं होगी। इसके बजाय, बांग्लादेश की पारंपरिक विरासत, धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक प्रतीकों को प्रमुखता दी गई है।

नए नोटों की खासियत:

  • हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें: देश की धार्मिक विविधता को दर्शाते हुए नए नोटों पर प्रमुख मंदिरों की झलक दिखाई देगी।

  • जैनुल आबेदीन की कलाकृतियाँ: प्रसिद्ध बांग्लादेशी चित्रकार की 1943 के बंगाल अकाल पर आधारित पेंटिंग्स को जगह दी गई है।

  • राष्ट्रीय स्मारक: 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की याद में बने स्मारक को डिज़ाइन में शामिल किया गया है।

  • प्राकृतिक दृश्य और पारंपरिक स्थल: जो बांग्लादेश की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर को उजागर करते हैं।

हालांकि पुराने नोट और सिक्के भी चलन में बने रहेंगे।.

राजनीतिक पहलू और विवाद:

बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, यह बदलाव केवल डिज़ाइन का नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी है। 1972 में स्वतंत्रता के बाद से शेख मुजीब की तस्वीरें विशेष रूप से तब नोटों में शामिल की गईं, जब उनकी पार्टी ‘अवामी लीग’ सत्ता में थी।

नई करेंसी को शेख हसीना के प्रभाव को कम करने और देश की छवि को “समावेशी” बनाने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।

शेख मुजीब की विरासत पर हमले:

2024 के अगस्त में तख्तापलट के बाद से शेख मुजीबुर्रहमान की कई प्रतीकों पर हमले हुए। उनकी मूर्तियाँ तोड़ी गईं, कई सार्वजनिक स्थानों से नामपट्ट हटाए गए और उनसे जुड़ी 8 राष्ट्रीय छुट्टियों को रद्द कर दिया गया।

शेख मुजीब बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे और 1971 में पाकिस्तान से आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। 15 अगस्त 1975 को उनकी हत्या कर दी गई थी।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर ट्रायल शुरू:

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल में मुकदमा शुरू हो चुका है। ट्रिब्यूनल में 12 मई को उनके खिलाफ रिपोर्ट सौंपी गई जिसमें 5 आरोप दर्ज हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2024 के आंदोलन में 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 25,000 से अधिक घायल हुए।

आरक्षण के खिलाफ आंदोलन बना तख्तापलट की वजह:

बांग्लादेश में 5 जून को कोर्ट के फैसले से सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण लागू हुआ, जो स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जाना था। इस फैसले के खिलाफ यूनिवर्सिटी छात्रों ने आंदोलन शुरू किया।

छात्रों के भारी विरोध के बाद शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को इस्तीफा देना पड़ा और वह देश छोड़कर भारत चली गईं। इसके बाद अंतरिम सरकार की स्थापना हुई।