1. सरकार किसकी आयेगी? ब्यूरोक्रेसी का माथा भी इसी सवाल में उलझा है।

ब्यूरोक्रेसी कोई सटीक भविष्यवाणी तो नहीं कर रही पर रिपीट कांग्रेस बोलकर पलड़ा झाड़ रही है। एक समय था जब इंटेलिजेंस की रिपोर्ट कार्ड से सरकार रणनीति बनाती थी लेकिन इस बार तो हर जासूस पल में तोला – पल में माशा बनकर अपनी बात में कायम है।

2. छत्तीसगढ़ में का बा…..

बाबा? इस बार दो बाबा और एक कका का संग्राम छिड़ा है। चाऊर वाले बाबा रमन सिंह, टी. एस. बाबा अब नहीं तो कभी नहीं के दावे के साथ मैदान में हैं तो कका भूपेश अपने फेस वैल्यू से चुनावी क्षितिज में चमकना चाह रहे हैं।

3. बद इंतजामी से क्रिकेट प्रेमी रहे खफा-

शुक्रवार को हुई टी-20 क्रिकेट मैच से पहले टिकट को लेकर ऐसी बद इंतजामी रही कि हर क्रिकेट प्रेमी स्टेडियम जाकर मैच देखने से तौबा करे। ऑनलाईन टिकट खरीदने के बाद भी सुबह से इंडोर स्टेडियम में हार्ड कापी के लिए ऐसी मशक्कत किसी भी शहर में नहीं दिखी।

4. शादी मंडप में प्रत्याशी परेशान-

शादियों के मौसम में प्रत्याशियों का मुख मंडल देखकर उनका भविष्य बताने वाले भी कम नहीं हैं। शादी में देखते ही भैया क्या हाल है? बस जवाब कुछ भी हो खुसुर – फुसुर शुरू हो जा रही की उपर से मुस्कुरा रहे अंदर से पता हैं कि इस बार निपट गए हैं?

5. कुत्तों की तेजी से पसीना – पसीना नगर निगम-

नगर निगम रायपुर का डॉग स्क्वाड भी सुपर फास्ट कुत्तों से हांफ रहा है। 2 दिसंबर की सुबह एक बड़ी कॉलोनी के स्ट्रीट डॉग को पकड़ने दल – बल के साथ पहुँची डॉग स्क्वाड को कुत्तों ने ऐसा चिढाया कि जाल, ढाल, डंडा और चमचाती गाड़ी में पहुँची टीम के हाथ एक कुत्ता नहीं लगा। एक कुत्ते पर जैसे ही टीम ने नजरें इनायत की, तुरंत कुत्तों के सरदार ने भौंककर ऐसा वॉर्नर ठोंका कि गली तो गली सुबह घूमने वाले पालतू कुत्ते भी तफरीह में नहीं निकले।

आखिरी दो सवाल:-

  • ईडी का सन्नाटा क्या तूफान के पहले की शांति है?
  • निर्वाचन आयोग ने “कौंआ” मारकर टांगकर पूरा इलेक्शन निपटा लिया, इसके मायने क्या हैं?

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