छत्तीसगढ़ की 9 राजनीतिक पार्टियों की मान्यता पर संकट: राज्य आयोग ने सुनवाई पूरी कर दी, अब फैसला केंद्रीय चुनाव आयोग को करना है

छत्तीसगढ़ में राजनीति की एक अहम लड़ाई अब केवल चुनावी मैदान तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि राजनीतिक मान्यता (recognition / registration status) को लेकर एक संवेदनशील मामला सामने आया है। सूचना मिली है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने उन नौ राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने या संशोधित करने संबंधी सुनवाई पूरी कर ली है। अब इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission of India, ECI) करेगा। इस फैसले का राजनीतिक असर, कानूनी मायने और भविष्य की दिशा—इन सभी पर एक दृष्टि डालना ज़रूरी है।
क्या है मामला?
- छत्तीसगढ़ के राज्य निर्वाचन आयोग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें उसने कहा है कि नौ राजनीतिक दलों की मान्यता (recognition / registration) को रद्द करने का प्रस्ताव है।
- आयोग का आदेश दिनांक 19 सितंबर 2025 को जारी किया गया था।
- इस आदेश के साथ, राज्य आयोग ने इन दलों को एक नोटिस भेजा था कि वह अपनी ओर से जवाब प्रस्तुत करें और सुनवाई पूरी करने का अवसर दें।
- सुनवाई पूरी करने के बाद अब यह मामला ECI को भेजा गया है, जो तय करेगा कि ये दलों की मान्यता रद्द होगी या जारी रहेगी।
- न्यायालयीन इतिहास और चुनाव कानूनों की व्याख्या देखें, तो ECI के पास यह शक्ति है कि वह पंजीकृत दलों की स्थिति — मान्यता देना, रद्द करना, या संशोधित करना — निर्धारित कर सके।
केंद्रीय निर्वाचन आयोग (ECI) की भूमिका और छत्तीसगढ़ की नौ पार्टियाँ
ECI की भूमिका
- Election Commission of India को संविधान और Representation of the People Acts (RPA) की शक्तियाँ हैं कि वह राजनीतिक दलों के पंजीकरण, चुनाव चिन्ह आवंटन, और मान्यता संबंधी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सके।
- ECI ने हाल ही में पूरे भारत में 334 पंजीकृत, गैर-मान्यता प्राप्त दलों की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की है। इनमें छत्तीसगढ़ की नौ दलें भी शामिल हैं।
- ECI का तर्क है कि ये दल चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी नहीं लेती थीं, और अत: उन्हें चुनाव-प्रक्रिया से बाहर करना लोकतंत्र की शुद्धता और सक्रियता बनाए रखने की दृष्टि से आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ की वे नौ पार्टियाँ (संभव सूची एवं जानकारी)
संवादित स्रोतों में ये दल नाम से स्पष्ट नहीं किए गए हैं, लेकिन सामान्यतः वे निम्नलिखित प्रकार की पार्टियाँ हो सकती हैं:
- वे दल जो विधानसभा या लोकसभा चुनावों में समय-समय पर हिस्सा नहीं लेते थे
- वे दल जिनका सदस्य आधार सीमित है
- वे दल जिनका संगठनात्मक स्वरूप सक्रिय नहीं रहा
उदाहरण स्वरूप, Gondwana Gantantra Party (GGP) छत्तीसगढ़ में एक पंजीकृत लेकिन “अमान्यता प्राप्त” दल है, जो आदिवासी हितों की राजनीति करता है।
नए स्रोतों में यह उल्लेख है कि ECI ने उन दलों के खिलाफ कार्रवाई की है, जो 2019 के बाद से कोई चुनाव नहीं लड़ी थीं।
कानूनी आधार और बहस
मान्यता रद्द करने का आधार
- चुनाव कानूनों के अनुसार, एक राजनीतिक दल को मान्यता बनाए रखने के लिए उसे सक्रिय भूमिका निभानी होती है—चुनावी भागीदारी, संगठन गतिविधियाँ, चुनाव चिन्ह अधिकार आदि। यदि वह निष्क्रिय रह जाए, तो ECI को वह दल पंजीकरण से वंचित कर सकती है।
- RPA (Representation of the People Acts) और सम्बंधित नियमों में यह प्रावधान है कि यदि दल चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी न करे या आवश्यक मानदंड नहीं पूरा करे, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
- ECI ने इस तर्क को आगे बढ़ाया है कि उन दलों को कर लाभ जैसे टैक्स छूट मिल रही थीं, जो राजनीतिक गतिविधि न करने के बावजूद जारी थीं, और इसके कारण लोकतंत्र की “निष्क्रिय भागीदारी” की समस्या उत्पन्न हो रही थी।
दलीलें संभावित
- ये दल बहस कर सकते हैं कि मान्यता केवल चुनाव लड़ने की शर्त नहीं हो सकती, बल्कि सामाजिक, क्षेत्रीय, या संगठनात्मक गतिविधियों पर भी ध्यान देना चाहिए।
- उन्हें यह तर्क देना होगा कि उन्होंने संगठनात्मक काम किए, सदस्यता बनाई, या स्थानीय चुनाव लड़ने का प्रयास किया हो।
- यदि ECI या राज्य आयोग ने प्रक्रिया में त्रुटि की हो — जैसे जवाब नहीं मांगा, पक्ष नहीं सुना — तब न्यायालयीन हस्तक्षेप संभव है।
- सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के द्वारा चुनाव कानूनों और दलों के दायित्वों पर अनेक निर्णय लिए गए हैं, जो इस तरह की विवादों में मार्गदर्शक होते हैं।
राजनीतिक और व्यवहारिक असर
- अगर ये नौ दल मान्यता खो देती हैं, तो वे चुनाव चिन्ह नहीं पाएँगी और चुनाव लड़ने के दौरान उन्हें स्वतंत्र या अन्य चिन्ह से ही लड़ना होगा।
- इससे उनकी पहचान मुख्य धारा से दूर हो सकती है, और स्थानीय व मतदाता स्तर पर उनकी पकड़ कमजोर हो सकती है।
- राजनीतिक रूप से, राज्य में दलों की संख्या घटेगी, जिससे मुख्य बड़े दलों (जैसे भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस) की भूमिका और बढ़ सकती है।
- यह कदम यह संदेश देता है कि राजनीति में सक्रिय होना जरूरी है — सिर्फ नाम दर्ज रखना काम नहीं चलेगा।
- विरोध होने की संभावना है कि यह निर्णय राजनीतिक दमन (political suppression) को बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि छोटे दलों को मुख्यधारा से बाहर करने का एक मार्ग बन सकता है।
अगले कदम: निर्णय की प्रक्रिया
- ECI द्वारा समीक्षा
राज्य आयोग की रिपोर्ट और सुनवाई का विवरण ECI को प्रस्तुत किया गया है। ECI अब इन दलों की दलीलों और सबूतों को देखेगा। - प्रतिक्रिया अवधि (Appeal / Reply Window)
संबंधित दलों को आम तौर पर कुछ समय दिया जाता है कि वे अपनी पक्ष प्रस्तुत करें। - न्यायालयीन समीक्षा
यदि दल इस निर्णय से असंतुष्ट हों, वे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। - अंतिम आदेश एवं प्रभाव
ECI अंतिम आदेश जारी करेगी—मान्यता निरस्त करना, बनाए रखना या किसी प्रकार से शर्त लगाना। - क्रियान्वयन
यदि मान्यता रद्द होती है, तो इन दलों को चुनावों में भाग लेने की बाधाएँ आएँगी—चुनाव चिन्ह आवंटन, नामांकन प्रक्रिया, प्रचार आदि।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में नौ राजनीतिक दलों की मान्यता पर यह विवाद सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस कदम का उद्देश्य राजनीति को सक्रिय और उत्तरदायी बनाना बतलाया जाता है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठता है कि क्या इस तरह की कार्रवाई से लोकतंत्र में विविधता कम होगी और छोटे दलों का अस्तित्व खतरे में होगा।
अब टिकी नजर ईसीआई के अगले कदम पर — क्या ये दल मान्यता खोएँगी, या उन्हें न्याय मिलेगा? निर्णय आने तक इंतजार रहेगा, मगर यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ की राजनीतिक व्यवस्था में यह बदलाव गहरा प्रभाव छोड़ेगा।