रायपुर में दिव्यांग प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस की सख्ती, फर्जी प्रमाणपत्र पर कार्रवाई की मांग

रायपुर। छत्तीसगढ़ में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के जरिए सरकारी नौकरी करने वाले 148 अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग को लेकर प्रदेशभर के दिव्यांग संघ आज विधानसभा घेराव के लिए रायपुर पहुंचे, लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बस स्टैंड के पास से बलपूर्वक हटाकर नवा रायपुर स्थित तूता धरनास्थल भेज दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में पुलिसकर्मी महिला दिव्यांगों को घसीटते और बदसलूकी करते नजर आ रहे हैं। इस कार्रवाई को लेकर विरोध तेज हो गया है। दिव्यांग संघ का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने जबरन कार्रवाई कर उन्हें रोकने का प्रयास किया।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख 6 सूत्रीय मांगें:
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फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र धारकों की तत्काल बर्खास्तगी।
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दिव्यांग कोटे के बैकलॉग पदों पर विशेष भर्ती अभियान।
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दिव्यांग पेंशन ₹5000 प्रतिमाह की जाए।
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पेंशन हेतु BPL की अनिवार्यता समाप्त की जाए।
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21 वर्ष से अधिक अविवाहित दिव्यांग महिलाओं को ‘महतारी वंदन योजना’ में शामिल किया जाए।
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3% पदोन्नति आरक्षण के पालन हेतु परिपत्र जारी किया जाए।
148 अधिकारियों पर फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी का आरोप
दिव्यांग संघ के नेताओं ने मंगलवार को मीडिया को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) के माध्यम से चयनित 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखा अधिकारी, 3 नायब तहसीलदार, 3 पशु चिकित्सक सहित कुल 148 अधिकारी फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र लगाकर सरकारी नौकरियों में भर्ती हुए हैं। संघ का कहना है कि इस मुद्दे पर बार-बार आश्वासन के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
शांतिपूर्ण आंदोलन को रोका गया:
दिव्यांग संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि वे बीते कुछ वर्षों से लगातार प्रदर्शन करते आ रहे हैं। हर बार सरकार ने लिखित या मौखिक आश्वासन देकर आंदोलन रुकवाया, लेकिन आज तक मांगे पूरी नहीं हुईं। इसलिए इस बार वे निर्णायक आंदोलन के लिए विधानसभा पहुंचे थे।