पहलगाम हमला: ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ की खूबसूरती को चीरता आतंकी कहर, 26 मासूम टूरिस्ट्स की जान गई

पहलगाम हमला: ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ की खूबसूरती को चीरता आतंकी कहर, 26 मासूम टूरिस्ट्स की जान गई

बायसरन घाटी, पहलगाम | 22 अप्रैल 2025

हरी-भरी वादियों, देवदार के घने जंगलों और बर्फ से ढंके पहाड़ों की गोद में बसी बायसरन घाटी — जिसे पर्यटक ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जानते हैं — 22 अप्रैल को गोली, चीख और खून की घाटी बन गई। दोपहर 2 बजे तक यहां टूरिस्ट्स झूले ले रहे थे, फोटोज़ खिंचवा रहे थे, और ज़िपलाइन का आनंद ले रहे थे। 2:20 बजे गोलियों की आवाज़ आई। 13 मिनट में सब कुछ बदल गया।

तीन आतंकी जंगल से निकले। सेना की वर्दी पहने। लोगों से धर्म पूछा। “कलमा पढ़ो,” कहा। जो पढ़ न सके, उन्हें गोली मार दी गई। 13 मिनट के अंदर 26 सैलानी मार दिए गए।

तीन महीने बाद न्याय

28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव के तहत सेना और पुलिस ने श्रीनगर से 22 किमी दूर दाचीगाम के जंगलों में तीनों आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में घोषणा की कि सुलेमान (लश्कर कमांडर), हमजा अफगान और जिब्रान को ढेर कर दिया गया है। तीनों ए कैटेगरी के आतंकी थे।


उन मासूमों की कहानियां, जो बस जिंदगियों के कुछ पल जीने निकले थे:

1. लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और हिमांशी (हरियाणा)

16 अप्रैल को शादी, 21 को रिसेप्शन, 22 को बायसरन। “क्या तुम हिंदू हो?” पूछने के बाद आतंकियों ने लेफ्टिनेंट विनय को तीन गोलियां मारीं। हिमांशी की गोद में सिर रखे विनय की तस्वीर घटना का प्रतीक बन गई।

2. मंजूनाथ और पल्लवी (कर्नाटक)

रियल एस्टेट व्यवसायी मंजूनाथ अपने बेटे और पत्नी संग आए थे। बेटे को छोड़, पल्लवी के सामने मंजूनाथ को गोली मारी गई। “जाओ मोदी को बताओ,” आतंकी ने कहा।

3. शैलेश और शीतल (सूरत, गुजरात)

जन्मदिन मनाने निकले शैलेश को आतंकियों ने भीड़ में पहचान कर गोली मारी। “कलमा पढ़ो,” कहा गया। जो पढ़ नहीं पाए, मार दिए गए। शैलेश की लाश शीतल की गोद में गिरी।

4. सुशील नथानियल (मध्यप्रदेश)

ईसाई होने की वजह से कलमा नहीं पढ़ पाए। आतंकियों ने उनकी पत्नी और बच्चों को जाने दिया और सुशील को गोली मार दी। बेटा बैडमिंटन खिलाड़ी और बेटी बैंक ऑफिसर है।

5. शुभम और एशान्या (कानपुर, यूपी)

12 फरवरी को शादी। 22 अप्रैल को पति को सिर में गोली मार दी गई। एशान्या ने पूछा, “क्या हुआ भैया?” जवाब मिला – “हिंदू हो या मुसलमान?”

6. यतीशभाई और स्मित (गुजरात)

(यह भाग अधूरा है, आप चाहें तो इसकी कहानी भी साझा करें, मैं जोड़ दूँगा।)


इस त्रासदी ने क्या सिखाया?

  • यह हमला सिर्फ हिंसा नहीं, धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया नरसंहार था।
  • आतंकी संगठन अब सॉफ्ट टारगेट्स जैसे टूरिस्ट्स को निशाना बना रहे हैं — ताकि भय फैलाया जा सके और समाज में नफरत बोई जा सके।
  • बायसरन जैसे दुर्गम पर्यटन स्थल की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं।

सेना और देश की जवाबदेही:

ऑपरेशन महादेव इस त्रासदी के तीन महीने बाद आया, पर यह आतंक के खिलाफ भारत की तेज़, प्रभावशाली और निर्णायक रणनीति का उदाहरण बन गया है।

राजेश नरवाल ने कहा, “सेना ने जो किया, वह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि 26 मासूम जिंदगियों को न्याय देने की दिशा में मजबूत कदम है।

 

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