SIR फॉर्म में गलत जानकारी दी तो 1 साल जेल: चुनाव आयुक्त ने कहा– बीएलओ नहीं मांगते OTP, पर्सनल जानकारी ना बताए; तिथि बढ़ाने की मांग तेज

रायपुर।

चुनाव आयोग की ओर से जारी मतदाता सूची सुधार अभियान (Special Summary Revision) के बीच SIR फॉर्म को लेकर बड़ा निर्देश सामने आया है। राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट कहा है कि SIR फॉर्म में गलत जानकारी देना कानूनी अपराध है, जिसके लिए अधिकतम 1 साल की जेल का प्रावधान है। उन्होंने मतदाताओं को सतर्क करते हुए यह भी बताया कि बीएलओ (BLO) कभी OTP या निजी जानकारी नहीं मांगते, इसलिए कोई भी नागरिक किसी के साथ व्यक्तिगत विवरण साझा न करे।

इस बीच, बढ़ते आवेदन, ऑनलाइन त्रुटियों और तकनीकी समस्याओं को देखते हुए नागरिकों की ओर से तिथि बढ़ाने की मांग भी तेज हो गई है। कई संगठनों ने आयोग को ज्ञापन सौंपकर समयसीमा बढ़ाने की अपील की है।

क्या है SIR फॉर्म और क्यों बढ़ी सख्ती?

SIR (Special Information Report) फॉर्म का उपयोग मतदाता सूची में संशोधन, नए नाम जोड़ने या स्थानांतरण संबंधी जानकारी के लिए किया जाता है। चुनाव आयोग ने देखा कि:

  • कुछ लोग जान-बूझकर गलत जानकारी दे रहे हैं।

  • एड्रेस फर्जी दिखाकर क्षेत्र बदलने की कोशिशें सामने आईं।

  • कई लोग दो जगह वोट बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

  • पहचान प्रमाण और निवास विवरण में गलतियां बढ़ी हैं।

इसी को देखते हुए आयोग ने स्पष्ट चेतावनी जारी की कि फॉर्म में गलत जानकारी को Forgery व Misrepresentation की श्रेणी में माना जाएगा, जिसके लिए Representation of People Act के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है।

चुनाव आयुक्त की चेतावनी– “BLO कभी OTP नहीं मांगते”

मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:

“BLO केवल दस्तावेजों का सत्यापन करते हैं। वे किसी भी मतदाता से OTP, बैंक डिटेल, मोबाइल PIN या आधार संबंधी गोपनीय जानकारी नहीं मांगते। ऐसे मामलों में सावधान रहें।”

यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के दिनों में कई जगहों पर लोगों के साथ ठगी के प्रयास हुए हैं। फर्जी व्यक्ति BLO बनकर OTP और आधार नंबर मांग रहे थे।

आयुक्त ने नागरिकों से अपील की:

  • किसी भी अनजान व्यक्ति को OTP न दें।

  • BLO का आईडी कार्ड अवश्य जांचें।

  • संदेह होने पर तुरंत हेल्पलाइन या स्थानीय निर्वाचन कार्यालय को सूचित करें।

गलत जानकारी पर 1 साल तक की सजा

चुनाव आयोग ने कानून का स्पष्ट उल्लेख करते हुए बताया:

  • कोई भी व्यक्ति यदि अपने निवास, आयु, पहचान या पात्रता से सम्बंधित गलत तथ्य प्रस्तुत करता है,

  • या जानबूझकर दो जगह वोट बनवाने का प्रयास करता है,

  • या किसी और के नाम से आवेदन करता है,

तो उस पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एक वर्ष तक की सजा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

आयोग का कहना है कि मतदाता सूची लोकतंत्र की आधारशिला है, इसलिए किसी भी तरह की धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आवेदन की भीड़ बढ़ी, वेबसाइट पर तकनीकी समस्या

SIR फॉर्म भरने की अंतिम तारीख नजदीक आते ही:

  • चुनाव आयोग की वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ गया है।

  • कई नागरिकों ने OTP न आने, साइट न खुलने और फॉर्म सबमिट न होने की शिकायत की है।

  • जिलों में BLO की संख्या कम पड़ रही है।

युवा मतदाता, छात्र और नौकरीपेशा लोग कह रहे हैं कि ऑनलाइन प्रक्रिया आसान होनी चाहिए, लेकिन अभी यह बेहद जटिल लग रही है।

तिथि बढ़ाने की मांग तेज

कई जिलों में छात्र संगठनों, सामाजिक संस्थाओं और नागरिक मंचों ने आयोग को पत्र भेजा है कि:

  • प्रक्रिया में लगातार तकनीकी समस्या आ रही है

  • कई ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी कमजोर है

  • BLO से संपर्क नहीं हो पा रहा

  • फॉर्म की प्रक्रिया लंबी और समय लेने वाली है

इन समस्याओं को देखते हुए समयसीमा बढ़ाने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।

छात्र संघ ने कहा:

“नए मतदाता बनने की कोशिश कर रहे युवाओं को बार-बार वेबसाइट एरर मिल रहा है। आयोग को कम से कम 10–15 दिन का समय और देना चाहिए।”

BLO की भूमिका– नया विवाद

कुछ जिलों में नागरिकों ने शिकायत की है कि:

  • BLO घरों तक नहीं पहुंच रहे

  • सत्यापन में देरी हो रही है

  • एक ही BLO पर कई वार्डों की जिम्मेदारी डाल दी गई है

चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि ऐसे BLO के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया जाएगा।

आयोग ने दी नागरिकों को सलाह

मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह सलाह दी है:

  • फॉर्म भरते समय सही जानकारी ही दर्ज करें।

  • आधार लिंक करना पूरी तरह स्वैच्छिक है—जबरदस्ती नहीं।

  • यदि निवास प्रमाण उपलब्ध न हो, तो वैकल्पिक दस्तावेज का उपयोग करें।

  • किसी भी संदेह की स्थिति में स्थानीय निर्वाचन कार्यालय जाएं।

  • किसी भी फर्जी कॉल या व्हाट्सऐप नंबर से सावधान रहें।

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • सख्ती जरूरी है ताकि मतदाता सूची पारदर्शी रहे।

  • लेकिन तकनीकी चुनौतियों को हल किए बिना कठोर प्रावधान जनता पर बोझ बढ़ा सकते हैं।

  • गलत जानकारी कई बार जानबूझकर नहीं, बल्कि प्रक्रिया की जटिलता के कारण होती है।

वे सुझाव देते हैं कि आयोग को:

  • BLO की संख्या बढ़ानी चाहिए

  • मोबाइल-फ्रेंडली पोर्टल बनाना चाहिए

  • ग्रामीण इलाकों में कैंप लगाने चाहिए

निष्कर्ष

SIR फॉर्म में गलत जानकारी देना अब मजाक नहीं—यह सीधा दंडनीय अपराध है।
चुनाव आयुक्त की चेतावनी के बाद मतदाताओं को कहीं अधिक सतर्क रहना होगा। साथ ही OTP और पर्सनल जानकारी को लेकर फैलते फर्जीवाड़ों से भी सावधानी जरूरी है।

हालांकि बढ़ती शिकायतों और तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए समयसीमा बढ़ाने की मांग अब गंभीर रूप ले चुकी है। आने वाले दिनों में आयोग इसके संबंध में नया निर्णय ले सकता है।