अब पीक टाइम में टैक्सी किराया बढ़ेगा दोगुना, केंद्र सरकार की नई गाइडलाइंस जारी
अगर आप ऑफिस के समय या शाम के व्यस्त घंटों में ओला, उबर, रैपिडो या इनड्राइव जैसी ऐप आधारित कैब सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो अब आपकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस (MVAG) 2025 जारी की हैं, जिसके तहत पीक ऑवर्स में बेस फेयर का दोगुना तक किराया वसूला जा सकेगा।
जानिए इन नए नियमों को आसान सवाल-जवाब के फॉर्मेट में:
सवाल 1: सरकार ने कैब कंपनियों के लिए क्या नया नियम बनाया है?
✅ जवाब: सरकार ने एप बेस्ड टैक्सी एग्रीगेटर्स को पीक ऑवर्स के दौरान बेस किराए का 2 गुना तक किराया वसूलने की अनुमति दी है। इससे पहले यह सीमा 1.5 गुना थी।
सवाल 2: पीक ऑवर्स क्या होते हैं?
✅ जवाब: पीक ऑवर्स वे समय होते हैं जब ट्रैफिक अधिक होता है या कैब की मांग बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, सुबह ऑफिस टाइम, शाम को लौटने का समय या खराब मौसम के दौरान।
सवाल 3: क्या नॉन-पीक आवर्स में भी किराया बदलेगा?
✅ जवाब: हां। नए नियमों के अनुसार, नॉन-पीक आवर्स में किराया बेस फेयर का न्यूनतम 50% होगा। यानी, यदि बेस फेयर ₹100 है तो कम से कम ₹50 देने ही होंगे, भले ही मांग कम हो।
सवाल 4: बेस किराया क्या है और कौन तय करता है?
✅ जवाब: बेस फेयर वह न्यूनतम किराया है जो राइड के लिए तय किया जाता है। इसे राज्य सरकारें निर्धारित करेंगी, जो कैब, ऑटो और बाइक टैक्सी सभी पर लागू होगा।
सवाल 5: अगर ड्राइवर राइड कैंसिल करता है, तो क्या होगा?
✅ जवाब: यदि ड्राइवर ने राइड स्वीकार करने के बाद बिना उचित कारण के उसे रद्द किया, तो उस पर किराए का 10% जुर्माना लगेगा। यह जुर्माना अधिकतम ₹100 तक हो सकता है।
सवाल 6: ये नियम कब से लागू होंगे?
✅ जवाब: केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को तीन महीने के भीतर, यानी सितंबर 2025 तक, इन नियमों को लागू करने की सलाह दी है।
सवाल 7: क्या और भी बदलाव किए गए हैं?
✅ जवाब: हां। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी ड्राइवरों के लिए ₹5 लाख तक का बीमा कवर अनिवार्य किया गया है, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
