24 दिन से NHM कर्मियों की हड़ताल, स्वास्थ्य सेवाएं ठप
बच्चों का टीकाकरण रुका, अस्पतालों में मरीजों को लौटाया जा रहा
प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के 16 हजार संविदा कर्मचारी पिछले 24 दिनों से हड़ताल पर हैं। सरकार और कर्मचारियों के बीच जारी तनातनी का सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है।

टीकाकरण और कार्यक्रम ठप
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बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है।
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शिशु संरक्षण माह सिर्फ नाम भर का रह गया है।
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राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (15 सितंबर) और मॉप-अप डे (19 सितंबर) को भी सरकार ने स्थगित कर दिया है।
अस्पतालों में तालाबंदी का नजारा
रायपुर के हमर क्लिनिक सेंटर्स के बाहर ताले लटक रहे हैं। गेट पर एक बोर्ड टंगा है –
“NHM कर्मी हड़ताल पर हैं, असुविधा के लिए खेद है।”
हमर अस्पताल खुले तो हैं, लेकिन यहां भी सिर्फ सुबह दो घंटे ओपीडी चल रही है। उसके बाद मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ रहा है।
भाठागांव का हमर अस्पताल : “इलाज करने वाला कोई नहीं”

गुरुवार दोपहर 3 बजे।
रायपुर के भाठागांव स्थित प्राइमरी हेल्थ सेंटर (हमर अस्पताल) में पहुंचे मरीज को पेट दर्द की शिकायत थी।
अस्पताल का गेट खुला था, लेकिन एंट्रेंस पर हड़ताल का बोर्ड लगा था। अंदर गलियारे में टीकाकरण कक्ष, इमरजेंसी रूम, ड्यूटी डॉक्टर, ओपीडी, फार्मेसी के नाम वाली टेबलें थीं, मगर सभी खाली।
इसी बीच एक व्हाइट एप्रन पहनी महिला बाहर आई। उसने कहा –
“अभी मैं अकेली हूं। कोई डॉक्टर नहीं है। मैं बिना प्रिस्क्रिप्शन दवा नहीं दे सकती। आप अंबेडकर अस्पताल जाइए।”
पूछने पर उसने बताया –
“यहां कुल 30 का स्टाफ है। उनमें से सिर्फ 4-5 रेगुलर हैं, बाकी संविदा पर। वे हड़ताल पर बैठे हैं। हम कुछ लोग ही शिफ्ट में काम कर रहे हैं। इसलिए ओपीडी सिर्फ सुबह दो घंटे चलती है।”
मरीजों की बढ़ी परेशानी
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गांव और मोहल्लों से आने वाले मरीज बिना इलाज वापस लौट रहे।
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गर्भवती महिलाओं और बच्चों का सबसे ज्यादा नुकसान।
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दवाइयां और जांच सेवाएं लगभग बंद।
