MIC’s Decision: रायपुर में महापौर के खिलाफ उठे सवाल, ठेका रद्द और योजनाओं पर राजनीतिक आरोप
रायपुर में मच्छर भगाने के लिए दुर्ग की एजेंसी को दिया गया ठेका अब रद्द कर दिया गया है। महापौर परिषद की बैठक में सोमवार को यह निर्णय लिया गया, जिसमें निगम कमिश्नर की मौजूदगी में अफसरों से ठेके को लेकर जवाब-तलब किया गया था। भविष्य में इस काम के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले जाने की बात कही गई है।
बैठक में शहर में यूनिपोल लगाने वाली एजेंसी ग्रेसफुल कंपनी के बकाए होर्डिंग्स का भी मुद्दा उठाया गया। महापौर ने बताया कि कंपनी को 14 नोटिस दिए गए थे, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद कंपनी द्वारा जमा किए गए 20 लाख के दो चेक भी बाउंस हो गए थे। अब एजेंसी के खिलाफ धारा 138 के तहत एफआईआर दर्ज कर ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय लिया गया है।
एमआईसी सदस्य ने आरोप लगाया कि पीएम आवास-2023 योजना से नए आवासों के लिए एक भी रुपया जारी नहीं किया गया है। जिनके पास पहले से घर हैं, उन्हें भी सब्सिडी दी जा रही है, जबकि तालाब किनारे रहने वालों को भी फॉर्म भरने का मौका दिया जा रहा है, बिना यह देखे कि वे योग्य हैं या नहीं।
महापौर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रायपुर में आगामी चुनाव कांग्रेस ही जीतने वाली है, भले ही चुनाव की प्रणाली में बदलाव हो। उन्होंने कहा कि सरकार को जल्दी चुनाव कराना चाहिए, लेकिन अब तक निगम चुनाव के लिए आरक्षण की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने महापौर के बयानों का जवाब देते हुए कहा कि महापौर जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं और अब वह हताश होकर बयान दे रहे हैं। उन्होंने यूथ हब के नाम पर अवैध चौपाटी के निर्माण और पीएम आवास योजना पर महापौर द्वारा की जा रही अनर्गल बयानबाजी की आलोचना की।
