मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप: ऑडियो क्लिप सामने आई, हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की

रायपुर | 29 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. आशीष सिन्हा पर लगे यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों में एक नया मोड़ आया है। दैनिक भास्कर के पास आई एक ऑडियो क्लिप में आरोपी प्रोफेसर और छात्रा के बीच हुई बातचीत से मामले की गंभीरता और स्पष्ट हो गई है।
ऑडियो में क्या है?
ऑडियो में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशीष सिन्हा कथित रूप से पीड़िता से कहते सुनाई दे रहे हैं कि वह “डार्क कलर के कपड़े” पहना करे। साथ ही एग्जाम में पास कराने, ड्रिंक लेने, और अनुचित मुलाकातों को लेकर बातचीत की झलक भी ऑडियो में सुनी जा सकती है।
पीड़िता के अनुसार, प्रोफेसर उसे अपने केबिन में बुलाकर अश्लील तस्वीरें दिखाते थे और मना करने पर जबरन हाथ पकड़कर उसे रोकते थे।
क्या है मामला?
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4 जुलाई 2025 को, छात्रा ने अपने ही विभाग के प्रोफेसर डॉ. सिन्हा के खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत दर्ज कराई थी।
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शिकायत में कहा गया कि यह उत्पीड़न लगातार चल रहा था, और मानसिक रूप से छात्रा काफी कमजोर होती जा रही थी।
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पीड़िता ने कॉलेज प्रशासन के पास भी शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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अंततः उसने तीन बार हेल्थ सेक्रेटरी अमित कटारिया को भी लिखित शिकायत भेजी, फिर भी कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई।
जमानत याचिकाओं का हाल
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डॉ. आशीष सिन्हा ने अग्रिम जमानत के लिए सबसे पहले डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट में याचिका लगाई, जिसे खारिज कर दिया गया।
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इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली।
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हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और जांच प्रभावित हो सकती है।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर सवाल
मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर भी लापरवाही के आरोप लगे हैं। छात्रा के अनुसार, उसने इस मामले में कॉलेज में शिकायत की थी, लेकिन कोई इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) की जांच या संज्ञान नहीं लिया गया। यौन उत्पीड़न के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय विशाखा गाइडलाइंस के पालन में भी कमी पाई जा रही है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354A, 354D, और 506 (धमकी) जैसे प्रावधानों के तहत यह मामला दर्ज किया गया है। यदि जांच में आरोप सही पाए गए, तो सख्त कानूनी कार्रवाई संभव है।
मामले पर आगे की कार्रवाई
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पुलिस मामले की क्राइम ब्रांच स्तर पर जांच कर रही है।
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महिला आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारी भी संवेदनशीलता से जांच कराने की मांग कर रहे हैं।
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पीड़िता को मानसिक सहयोग और कानूनी सहायता दिए जाने की बात भी उठ रही है।