नवा रायपुर में ‘शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय’ हुआ रोशन: गुमनाम आदिवासी नायकों की अनकही कहानियाँ!

नवा रायपुर, छत्तीसगढ़।

देश की आजादी में आदिवासी समुदाय के गुमनाम नायकों के शौर्य और बलिदान को समर्पित, ‘शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक एवं जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय’ अब नवा रायपुर में बनकर तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने की 1 नवंबर को इसका विधिवत उद्घाटन किया।

🏹 यह संग्रहालय क्यों है ख़ास?

यह स्मारक-सह-संग्रहालय केवल एक इमारत नहीं, बल्कि क्षेत्रीय जनजातीय क्रांतिकारियों की अनकही गाथाओं का जीवंत दस्तावेज़ है। यह विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह के संघर्ष और बलिदान को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने 1857 के संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ़ विद्रोह का नेतृत्व किया था।

  • देश का पहला डिजिटल आदिवासी संग्रहालय: यह संग्रहालय आधुनिक डिजिटल और इंटरेक्टिव तकनीक से लैस है। इसमें वीएफएक्स डिस्प्ले, 3डी प्रोजेक्शन और एआई-पावर्ड टूल का उपयोग किया गया है ताकि आगंतुक आदिवासी विद्रोहों और उनकी समृद्ध संस्कृति का एक जीवंत अनुभव ले सकें।

  • 16 गैलरी, 650 मूर्तियां: लगभग 53 करोड़ रुपये की लागत से 9.75 एकड़ क्षेत्र में फैले इस संग्रहालय में 16 थीम गैलरियां हैं, जिनमें 650 से अधिक मूर्तियां 1774 से लेकर 1939 तक हुए 14 प्रमुख जनजातीय विद्रोहों (जैसे हल्बा, परलकोट, भूमकाल, मेरिया आदि) की कहानियाँ बयां करती हैं।

  • मुख्य आकर्षण: संग्रहालय में शहीद वीर नारायण सिंह द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ इस्तेमाल की गई तलवार, फांसी के आदेश वाले ऐतिहासिक दस्तावेज और विद्रोहियों द्वारा उपयोग किए गए हथियार प्रदर्शित किए गए हैं।

यह संग्रहालय राज्य के आदिवासी समुदाय को गौरव का अनुभव कराएगा और देश-विदेश के लोगों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के अतुलनीय योगदान से परिचित कराएगा।