8 साल से पिंजरे में कैद तेंदुए और लकड़बग्घा: अब जंगल सफारी में होगी शिफ्टिंग

राजधानी रायपुर के नंदनवन में बीते 8 वर्षों से 4 तेंदुए और 1 लकड़बग्घा को छोटे-से पिंजरे में कैद रखा गया है। इन जानवरों को ना धूप मिलती है, ना बारिश का पानी, और ना ही मिट्टी का स्पर्श। इनकी हालत सामने आने पर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

10×10 फीट के पिंजरे में बंद इन वन्यजीवों को न बाहर निकाला गया, न उनके लिए कोई बाड़ा बनाया गया। पिंजरे पर जंजीर, चार ताले और ‘प्रतिबंधित क्षेत्र’ का बोर्ड लगा हुआ है। केवल दो वनकर्मी ही खाना देने के लिए अंदर जा सकते हैं, बाकी किसी को अनुमति नहीं है।

प्रशासनिक तर्क और सवाल

वर्ष 2016-17 में नंदनवन के सभी वन्यजीवों को नवा रायपुर के जंगल सफारी में शिफ्ट किया गया था, लेकिन इन 5 जानवरों को वही छोड़ दिया गया। अधिकारियों का तर्क था कि ये बीमार हैं, इसलिए शिफ्ट नहीं किया गया। लेकिन सवाल उठता है — यदि बीमार थे तो रेस्क्यू सेंटर में इलाज संभव था।

जंगल सफारी में बाड़ा नहीं होने की बात कही गई, मगर क्या 8 साल में 5 बाड़ा बनाना भी संभव नहीं था? तेंदुआ और लकड़बग्घा जंगल में घूमने वाले जानवर हैं, पर इन्हें दीवारों में कैद रखा गया।

नंदनवन के पास ज़ू लाइसेंस नहीं

नंदनवन पक्षी विहार को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) ने चिड़ियाघर के रूप में मान्यता नहीं दी है। इसके बावजूद नियमों को दरकिनार कर इन जानवरों को पिंजरे में रखा गया।

तेंदुए और लकड़बग्घा की जानकारी:

  • डाली (मादा तेंदुआ): 2010 में बागबाहरा से रेस्क्यू, पास का दिखाई नहीं देता

  • टेकराम (नर तेंदुआ): 2012 में पिथौरा से लाया गया

  • नरसिम्हा (नर तेंदुआ): 2014 में बालोद से रेस्क्यू, टूटी केनाइन दांत, ग्लूकोमा

  • अनाम तेंदुआ: 2019 में मोहरेंगा से रेस्क्यू, टूटी केनाइन दांत

  • मादा लकड़बग्घा: 2021 में कोकर से घायल अवस्था में लाई गई

वन्यजीव प्रेमियों की आपत्ति

वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि यह वन्यजीवों के साथ क्रूरता है। लगातार बंद रहने से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है। ऐसी स्थिति उन्हें धीमी और पीड़ादायक मौत की ओर ले जा सकती है।

अब होगी शिफ्टिंग

वन विभाग के अनुसार, अब जंगल सफारी में बाड़ा बनकर तैयार हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि अगले 8-10 दिनों में इन जानवरों को रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा, जहां वे खुले क्षेत्र में विचरण कर पाएंगे।

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