भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँचा

भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँचा

डॉलर के मुकाबले ₹90.56 के आसपास गिरावट, लगातार दूसरे सप्ताह दबाव जारी

नई दिल्ली।
भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया है। हालिया कारोबारी सत्र में रुपया लगभग ₹90.56 प्रति डॉलर के स्तर पर कमजोर हुआ, जिससे यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज करने वाले स्तरों में शामिल हो गया है। यह गिरावट लगातार दूसरे सप्ताह भी जारी रही, जिससे विदेशी मुद्रा बाजारों में चिंता बढ़ी है।

विशेषज्ञों के अनुसार, रुपये पर दबाव के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और उभरते बाजारों से पूंजी का आंशिक बहिर्गमन—इन सभी कारकों ने रुपये को कमजोर किया है।

घरेलू स्तर पर आयात भुगतान का दबाव और विदेशी निवेशकों की सतर्कता भी रुपये की गिरावट में योगदान दे रही है। शेयर बाजारों में अस्थिरता के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की सीमित खरीदारी से भी मुद्रा बाजार को समर्थन नहीं मिल पाया।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है। बाजार सूत्रों के अनुसार, अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंक आवश्यकतानुसार हस्तक्षेप कर सकता है, हालांकि रुपये को पूरी तरह किसी एक स्तर पर थामे रखने की आधिकारिक नीति नहीं है।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कमजोर रुपया निर्यातकों के लिए अल्पकालिक रूप से फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इससे आयात महंगा होने और महंगाई पर दबाव बढ़ने की आशंका भी रहती है। विशेष रूप से ईंधन और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर इसका असर पड़ सकता है।

आने वाले दिनों में वैश्विक आर्थिक संकेतकों, अमेरिकी मौद्रिक नीति और कच्चे तेल की कीमतों की दिशा तय करेगी कि रुपये पर दबाव और बढ़ेगा या इसमें कुछ स्थिरता देखने को मिलेगी।