भारत बनेगा दुनिया का टॉप-5 शिपबिल्डिंग देश: गृह मंत्री ने किया ऐलान, ‘मेक इन इंडिया’ से नौवहन उद्योग को नई रफ्तार
नई दिल्ली। भारत सरकार ने एक नया और महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है — आने वाले वर्षों में देश को दुनिया के शीर्ष 5 जहाज निर्माण (Ship-Building) देशों में शामिल करना।
गृह मंत्री ने एक बयान में कहा कि भारत अब सिर्फ समुद्री शक्ति नहीं, बल्कि “शिपबिल्डिंग पावरहाउस” बनने की दिशा में काम कर रहा है।
🚢 ‘मेक इन इंडिया’ से बढ़ेगा जहाज निर्माण क्षेत्र
सरकार का फोकस अब घरेलू स्तर पर जहाज निर्माण को बढ़ावा देने पर है। इसके तहत ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत नई नीतियाँ लाई जा रही हैं ताकि भारत न सिर्फ अपनी नौसेना के लिए, बल्कि व्यावसायिक जहाजों, मालवाहक पोतों और निर्यात जहाजों के निर्माण में भी आत्मनिर्भर बन सके।
गृह मंत्री ने कहा,
“भारत के पास कुशल जनशक्ति, इंजीनियरिंग क्षमता और रणनीतिक भू-स्थिति है — जो हमें वैश्विक शिपबिल्डिंग हब बनाने में मदद करेगी।”
📈 भारत की मौजूदा स्थिति
वर्तमान में भारत वैश्विक शिपबिल्डिंग इंडेक्स में शीर्ष 10 देशों में शामिल नहीं है, लेकिन देश के पास कोचीन शिपयार्ड, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स जैसे प्रमुख सार्वजनिक उपक्रम मौजूद हैं।
सरकार अब इन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए निजी निवेश, विदेशी सहयोग और अत्याधुनिक तकनीक को प्रोत्साहित कर रही है।
🌊 सरकार की योजना
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शिपबिल्डिंग क्लस्टर नीति तैयार की जा रही है, जिससे तटीय राज्यों में इंडस्ट्रियल ज़ोन विकसित होंगे।
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ड्राई डॉक और रिपेयर हब्स का विस्तार किया जाएगा ताकि विदेशी जहाज भी भारत में मरम्मत करा सकें।
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ब्लू इकॉनमी और लॉजिस्टिक सेक्टर के साथ तालमेल बनाकर भारत एशिया का “शिपिंग सेंटर” बनेगा।
🌍 वैश्विक परिदृश्य
वर्तमान में दुनिया के शीर्ष जहाज निर्माण देश — चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, फिलीपींस और वियतनाम हैं।
भारत का लक्ष्य अगले दशक में इन देशों की सूची में शामिल होकर वैश्विक समुद्री व्यापार में अपनी 5% हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है।
💬 विशेषज्ञों की राय
समुद्री विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की यह पहल भारत के लिए एक रणनीतिक आर्थिक कदम साबित होगी। इससे रोजगार सृजन, निर्यात वृद्धि और रक्षा उत्पादन को भी नई गति मिलेगी।
