भारत ने रिकॉर्ड 146.1 मिलियन टन चावल उत्पादन किया; घरेलू मांग से अधिक फसल, अब नए विदेशी बाजारों की ओर रुख

नई दिल्ली। भारत ने कृषि वर्ष जून 2025 में समाप्त फसल सीजन में लगभग 146.1 मिलियन टन चावल का ऐतिहासिक उत्पादन किया है। यह मात्रा देश की घरेलू मांग (लगभग 120.7 मिलियन टन) से कहीं अधिक है।
इस अधिशेष उत्पादन के चलते भारतीय चावल निर्यातक अब इराक, इंडोनेशिया और सऊदी अरब जैसे नए बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं।


📈 रिकॉर्ड उत्पादन से बढ़ा निर्यात का अवसर

कृषि मंत्रालय के अनुसार, यह वृद्धि अनुकूल मानसून, आधुनिक सिंचाई प्रणाली और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के उपयोग के कारण संभव हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत के लिए वैश्विक चावल बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का सही समय है।

“भारत अब सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि एशिया और मध्य-पूर्व के देशों के लिए एक प्रमुख चावल आपूर्तिकर्ता बन सकता है,”
— एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी ने कहा।


🌍 नए लक्ष्य बाजार: इराक, इंडोनेशिया और सऊदी अरब

अब तक भारत के प्रमुख चावल खरीदार बांग्लादेश, नेपाल, और अफ्रीकी देश रहे हैं।
लेकिन हालिया अधिशेष उत्पादन के चलते भारतीय निर्यातक मध्य-पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के नए बाजारों पर ध्यान दे रहे हैं।

  • इराक — बासमती चावल की बढ़ती मांग

  • इंडोनेशिया — घरेलू उत्पादन में गिरावट के कारण नई आपूर्ति की आवश्यकता

  • सऊदी अरब — प्रीमियम और लंबी किस्म के चावल की स्थायी मांग


💬 निर्यात नीति पर नजर

सरकार ने हालांकि हाल के वर्षों में चावल निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन अब अधिशेष को देखते हुए नीति में आंशिक ढील की उम्मीद जताई जा रही है।
वाणिज्य मंत्रालय जल्द ही निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए समझौते और सब्सिडी योजनाएँ तैयार कर सकता है।


⚠️ चुनौतियाँ भी बरकरार

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती परिवहन लागत

  • वैश्विक मूल्य अस्थिरता

  • कुछ देशों द्वारा लगाए गए आयात शुल्क या कोटा

फिर भी, विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत का 146.1 मिलियन टन का उत्पादन देश को चावल निर्यात में वैश्विक अग्रणी स्थिति पर पहुंचा सकता है।