वैश्विक सुस्ती के चलते FY26 में 1 ट्रिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य चूक सकता है भारत

नई दिल्ली।

वैश्विक आर्थिक सुस्ती और कमजोर निर्यात मांग के चलते भारत के लिए वित्त वर्ष 2025–26 (FY26) में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ताजा आकलनों के अनुसार, इस अवधि में भारत का कुल निर्यात लगभग 850 अरब अमेरिकी डॉलर तक सीमित रहने की संभावना जताई जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों में मांग में कमी, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और वैश्विक व्यापार में सुस्ती का सीधा असर भारतीय निर्यात पर पड़ा है। खासकर इंजीनियरिंग गुड्स, टेक्सटाइल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी और कुछ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में शिपमेंट कमजोर दर्ज की जा रही है।

हालांकि सेवाओं के निर्यात, विशेष रूप से आईटी और डिजिटल सेवाओं, में स्थिरता बनी हुई है, लेकिन वस्तु निर्यात (Merchandise Exports) में अपेक्षित तेजी नहीं दिख रही है। इसके चलते कुल निर्यात आंकड़े लक्ष्य से पीछे रहने की आशंका बढ़ गई है।

नीतिगत स्तर पर सरकार की ओर से निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं, लॉजिस्टिक्स सुधार और नए बाजारों की तलाश पर जोर दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक हालात में सुधार होता है और घरेलू विनिर्माण को और मजबूती मिलती है, तो आने वाले वर्षों में निर्यात को दोबारा गति मिल सकती है।

फिलहाल, FY26 के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य महत्वाकांक्षी बना हुआ है और मौजूदा रुझानों के आधार पर भारत का निर्यात इससे कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।