अमेरिका की नई टैरिफ नीति से भारत को मिल सकता है बड़ा फायदा, ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का सुनहरा मौका

अमेरिका की नई टैरिफ नीति भारत के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आई है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका भारत पर अपेक्षाकृत कम टैरिफ लागू कर सकता है, जबकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के कई अन्य देशों को भारी टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।

🔹 भारत के लिए निवेश के अवसर

अरिहंत कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की नई नीति में भारत की स्थिति कई अन्य एशियाई देशों की तुलना में मजबूत है। इसका लाभ भारत को विदेशी निवेश आकर्षित करने और अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाने में मिल सकता है।

🔹 कंबोडिया और वियतनाम को झटका, भारत को राहत

जहाँ कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों को भारी टैरिफ झेलना पड़ रहा है, वहीं भारत को अब तक ऐसा कोई टैरिफ नोटिस नहीं मिला है। ट्रम्प प्रशासन ने जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और कजाकिस्तान को टैरिफ नोटिस भेजे हैं, लेकिन भारत इस सूची से बाहर है।

🔹 भारत के लिए क्यों फायदेमंद है यह स्थिति?

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका भारत को स्ट्रैटजिक पार्टनर मानते हुए टैरिफ में रियायत दे सकता है। इसके अलावा भारत की ‘चाइना+1’ रणनीति, पीएलआई योजनाएं, और यूके-ईयू के साथ व्यापार समझौते भी इसे मैन्युफैक्चरिंग के वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने का मौका दे रहे हैं।

🔹 किन क्षेत्रों को मिलेगा सीधा लाभ?

रिपोर्ट के अनुसार, भारत को विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने और निर्यात बढ़ाने का अवसर मिलेगा।

🔹 संभावित खतरे भी मौजूद

हालांकि, अमेरिका की ‘री-शोरिंग पॉलिसी’ यानी घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की रणनीति के चलते भारत को सेमीकंडक्टर्स, डिफेंस प्रोडक्ट्स और फार्मास्युटिकल्स सेक्टर में सीमित फायदा मिल सकता है, अगर अमेरिका वहां सख्त रुख अपनाता है।

🔹 यूके और ईयू के साथ व्यापार समझौते से भी बढ़ी ताकत

रिपोर्ट में मई 2025 में भारत और ब्रिटेन के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) और यूरोपीय संघ के साथ जारी व्यापार वार्ताओं का उल्लेख भी किया गया है, जिससे भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत हुई है।

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