नई दिल्ली/मस्कट।
भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को नई गति देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते को दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है, जिससे न केवल व्यापार बढ़ेगा बल्कि मिडिल ईस्ट क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति भी और सुदृढ़ होगी।
समझौते के तहत व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाने, आयात-निर्यात में बाधाओं को कम करने, निवेश संरक्षण और सहयोग के नए अवसर खोलने पर सहमति बनी है। विशेष रूप से ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल्स, लॉजिस्टिक्स, आईटी, खाद्य प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता दी गई है।
भारत सरकार के अनुसार, ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार है और यह समझौता दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक आर्थिक साझेदारी को मजबूत करेगा। इससे भारतीय कंपनियों को ओमान के बाजार तक बेहतर पहुंच मिलेगी, वहीं ओमानी निवेशकों के लिए भारत में अवसरों का दायरा बढ़ेगा।
रणनीतिक दृष्टि से भी यह समझौता अहम माना जा रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में ओमान की भौगोलिक स्थिति और भारत-ओमान रक्षा एवं समुद्री सहयोग पहले से ही मजबूत रहा है। अब व्यापारिक सहयोग के विस्तार से दोनों देशों के संबंध बहुआयामी रूप से आगे बढ़ेंगे।
ओमान सरकार ने भी इस समझौते को दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग का प्रतीक बताया है। ओमानी नेतृत्व का कहना है कि भारत के साथ बढ़ता आर्थिक सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में सकारात्मक भूमिका निभाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यापार समझौता भारत की “एक्ट वेस्ट एशिया” नीति को मजबूती देता है और मिडिल ईस्ट में भारत को एक भरोसेमंद आर्थिक भागीदार के रूप में स्थापित करता है। आने वाले वर्षों में इसका असर द्विपक्षीय व्यापार आंकड़ों और रणनीतिक सहयोग—दोनों पर स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा।