IMF ने भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान संशोधित किए: सुधार के संकेत, लेकिन वैश्विक चुनौतियाँ बनी रहीं
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP) के अपने नवीनतम पूर्वानुमान जारी किए हैं। ताज़ा अपडेट में फंड ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत और लचीला बताया है, साथ ही कुछ क्षेत्रों में स्पष्ट सुधार को आधार बनाकर वृद्धि अनुमान में संशोधन किया है।
हालांकि, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी दबाव को लेकर चेतावनी भी दी गई है।
GDP वृद्धि दर का संशोधित अनुमान
IMF ने अपने नए आउटलुक में भारत के लिए मध्यम अवधि में सकारात्मक और स्थिर वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया।
प्रमुख कारकों में शामिल हैं:
– मजबूत घरेलू मांग
– विनिर्माण और सेवाओं के क्षेत्र में तेज सुधार
– डिजिटल अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार
– सरकारी पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।
कौन-से क्षेत्र दिखा रहे हैं सुधार?
IMF ने निम्नलिखित क्षेत्रों को वृद्धि का प्रमुख इंजन बताया है:
– सेवाओं का क्षेत्र, विशेषकर IT, फाइनेंस और प्रोफेशनल सेवाएँ
– उद्योग और विनिर्माण, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स व ऑटोमोबाइल मजबूत हो रहे हैं
– बुनियादी ढांचा निवेश, जो सरकारी खर्च से गति पकड़ रहा है
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिले हैं, हालांकि मानसूनी अनिश्चितता पर निगरानी की जरूरत बताई गई है।
वैश्विक चुनौतियाँ अभी भी बरकरार
IMF ने कहा कि विश्व आर्थिक वातावरण अभी भी पूरी तरह स्थिर नहीं है। भारत पर संभावित प्रभाव डालने वाली चुनौतियाँ हैं:
– अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में उतार-चढ़ाव
– वैश्विक व्यापार में मंदी
– भूराजनीतिक तनाव
– महंगाई पर लगातार दबाव
फंड का कहना है कि भारत इन चुनौतियों के प्रति अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में है, लेकिन नीति स्तर पर सतर्क रहना आवश्यक होगा।
अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक संभावनाएँ मजबूत
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संरचनात्मक सुधार, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ, स्टार्टअप इकोसिस्टम और मजबूत युवा कार्यबल भारत की दीर्घकालिक वृद्धि क्षमता को मजबूती देंगे।
