कमल विहार सेक्टर-11 डूंडा में अवैध प्लॉटिंग का खुलासा, पुलिस अफसरों ने भी खरीदी जमीन

रायपुर। कौशल्या माता विहार (कमल विहार) सेक्टर-11 के अंतर्गत डूंडा क्षेत्र में सरकारी जमीन पर अवैध प्लॉटिंग का बड़ा मामला सामने आया है। दलालों ने सरकारी जमीन पर छोटे-छोटे टुकड़ों में प्लॉट काटकर नोटरी में लिखा-पढ़ी करके लोगों को बेच दिए। दो हजार वर्गफुट जमीन मात्र पांच लाख रुपए में बेची जा रही थी, जिससे सस्ती दरों के लालच में कई लोगों ने खरीदारी कर ली, जिनमें आधा दर्जन से ज्यादा पुलिस अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं।
कुछ खरीदारों ने मकान बनाकर टैक्स भी भरना शुरू कर दिया था, वहीं कुछ निर्माणाधीन थे। शनिवार को जिला प्रशासन, नगर निगम और रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की संयुक्त टीम ने जब मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की, तब यह अवैध प्लॉटिंग का मामला सामने आया। कार्रवाई के बाद दलाल मौके से फरार हो गए।
डूंडा क्षेत्र में करीब 40 मकानों पर बुलडोजर चलाया गया। इस कार्रवाई के दौरान सामने आया कि कई लोगों ने बिना वैध दस्तावेजों के निर्माण कार्य शुरू कर दिया था। एक उदाहरण में अकील अहमद नामक व्यक्ति ने स्वीकार किया कि उसने 2023 में शोभाराम साहू से 5 लाख रुपए में दो हजार वर्गफुट जमीन खरीदी थी। उसे बताया गया था कि यह जमीन जल्द ही पट्टे में बदल जाएगी और आरडीए का कोई दखल नहीं है। बाद में अकील ने वही जमीन 5.21 लाख में राकेश सांखला को बेच दी, जिसने वहां मकान बनाना शुरू कर दिया था।
एक पुलिस सब इंस्पेक्टर ने भी अवैध तरीके से जमीन खरीदकर दो मंजिला मकान बनवा लिया था, लेकिन आरडीए की कार्रवाई में वह भी तोड़ दिया गया।
हाईकोर्ट के आदेश का गलत इस्तेमाल कर फंसाया गया खरीदारों को
सूत्रों के अनुसार, डूंडा में कॉलोनी बसाने को लेकर पहले से विवाद था। 2013 में हाईकोर्ट ने एक फैसले में आरडीए के खिलाफ निर्णय दिया था, जिसे कुछ दलालों ने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। एजाज खान और रमेश भारती नामक व्यक्तियों ने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज निकालकर लोगों को दिखाए और भरोसा दिलाया कि यह जमीन आबादी भूमि है और सरकार द्वारा पट्टा जारी किया जाएगा।
दलाल 100 से 500 रुपए प्रति वर्गफुट की दर से जमीन बेच रहे थे और मलवा खरीदी के नाम पर नोटरी करवाकर लोगों को फर्जी दस्तावेज दे रहे थे।
आरडीए को नहीं थी जानकारी, अब दे रहे सफाई
कमल विहार में ही आरडीए का कार्यालय स्थित है, लेकिन अफसरों को इस बड़े पैमाने पर हो रही अवैध प्लॉटिंग की जानकारी तक नहीं थी। अब आरडीए का कहना है कि उन्होंने समय-समय पर राजस्व विभाग को कब्जा हटाने के लिए पत्र भेजे हैं। फिलहाल प्रशासन की सख्त कार्रवाई के चलते अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए गए हैं और आगे की जांच जारी है।
रायपुर। कौशल्या माता विहार (कमल विहार) सेक्टर-11 के अंतर्गत डूंडा क्षेत्र में सरकारी जमीन पर अवैध प्लॉटिंग का बड़ा मामला सामने आया है। दलालों ने सरकारी जमीन पर छोटे-छोटे टुकड़ों में प्लॉट काटकर नोटरी में लिखा-पढ़ी करके लोगों को बेच दिए। दो हजार वर्गफुट जमीन मात्र पांच लाख रुपए में बेची जा रही थी, जिससे सस्ती दरों के लालच में कई लोगों ने खरीदारी कर ली, जिनमें आधा दर्जन से ज्यादा पुलिस अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं।
कुछ खरीदारों ने मकान बनाकर टैक्स भी भरना शुरू कर दिया था, वहीं कुछ निर्माणाधीन थे। शनिवार को जिला प्रशासन, नगर निगम और रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की संयुक्त टीम ने जब मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की, तब यह अवैध प्लॉटिंग का मामला सामने आया। कार्रवाई के बाद दलाल मौके से फरार हो गए।
डूंडा क्षेत्र में करीब 40 मकानों पर बुलडोजर चलाया गया। इस कार्रवाई के दौरान सामने आया कि कई लोगों ने बिना वैध दस्तावेजों के निर्माण कार्य शुरू कर दिया था। एक उदाहरण में अकील अहमद नामक व्यक्ति ने स्वीकार किया कि उसने 2023 में शोभाराम साहू से 5 लाख रुपए में दो हजार वर्गफुट जमीन खरीदी थी। उसे बताया गया था कि यह जमीन जल्द ही पट्टे में बदल जाएगी और आरडीए का कोई दखल नहीं है। बाद में अकील ने वही जमीन 5.21 लाख में राकेश सांखला को बेच दी, जिसने वहां मकान बनाना शुरू कर दिया था।
एक पुलिस सब इंस्पेक्टर ने भी अवैध तरीके से जमीन खरीदकर दो मंजिला मकान बनवा लिया था, लेकिन आरडीए की कार्रवाई में वह भी तोड़ दिया गया।
हाईकोर्ट के आदेश का गलत इस्तेमाल कर फंसाया गया खरीदारों को
सूत्रों के अनुसार, डूंडा में कॉलोनी बसाने को लेकर पहले से विवाद था। 2013 में हाईकोर्ट ने एक फैसले में आरडीए के खिलाफ निर्णय दिया था, जिसे कुछ दलालों ने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। एजाज खान और रमेश भारती नामक व्यक्तियों ने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज निकालकर लोगों को दिखाए और भरोसा दिलाया कि यह जमीन आबादी भूमि है और सरकार द्वारा पट्टा जारी किया जाएगा।
दलाल 100 से 500 रुपए प्रति वर्गफुट की दर से जमीन बेच रहे थे और मलवा खरीदी के नाम पर नोटरी करवाकर लोगों को फर्जी दस्तावेज दे रहे थे।
आरडीए को नहीं थी जानकारी, अब दे रहे सफाई
कमल विहार में ही आरडीए का कार्यालय स्थित है, लेकिन अफसरों को इस बड़े पैमाने पर हो रही अवैध प्लॉटिंग की जानकारी तक नहीं थी। अब आरडीए का कहना है कि उन्होंने समय-समय पर राजस्व विभाग को कब्जा हटाने के लिए पत्र भेजे हैं। फिलहाल प्रशासन की सख्त कार्रवाई के चलते अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए गए हैं और आगे की जांच जारी है।