CGPSC भर्ती घोटाले में हाईकोर्ट ने पूछा देरी का कारण; योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति में क्यों नहीं हुई कार्रवाई
रायपुर, छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाले का मामला अब न्यायालय की कठोरता के घेरे में है। हाईकोर्ट ने सरकार और आयोग से पूछा है कि आखिर योग्य और दोषमुक्त अभ्यर्थियों की नियुक्तियों में इतनी देरी क्यों हुई है।
📌 मामले का सिलसिला
CGPSC ने 2021 की परीक्षा के बाद लगभग 171 पदों के लिए चयन किया था, जिसमें कई अभ्यर्थियों ने मेरिट और शुद्ध प्रक्रिया के आधार पर सफलता पाई थी,लेकिन पिछले समय से नियुक्तियों पर रोक लगी हुई है क्योंकि परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं, प्रश्नपत्र लीक एवं चयन में पारदर्शिता के अभाव के आरोप लगे हैं।
⚖️ हाईकोर्ट की भूमिका और आदेश
योग्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिनका नाम चार्जशीट में नहीं है और जिन पर कोई आरोप नहीं है। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसे अभ्यर्थियों को 60 दिनों के भीतर नियुक्ति पत्र जारी किया जाए, बशर्ते कि उनकी ओर से कोई कानूनी अड़चन न हो।
❓ देरी का कारण पूछा गया
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न्यायालय ने पूछा है कि क्यों पूरी चयन प्रक्रिया को “दोषपूर्ण” मान कर सभी नियुक्तियों पर रोक लगाई गई जबकि कुछ अभ्यर्थियों का चयन सामान्य और निष्पक्ष ढंग से हुआ था।
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साथ ही कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि जांच एजेंसियां और PSC मामले में स्पष्ट और सुसंगत रिपोर्ट पेश करें, ताकि दोषियों को सजा हो और निर्दोषों को न्याय मिले।
🔍 सम्भावित असर
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इस आदेश से उन हजारों अभ्यर्थियों को राहत मिल सकती है जिनकी नियुक्तियाँ लंबे समय से अटकी हुई थी।
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यह उदाहरण बनेगा कि न्याय की प्रक्रिया में देरी नहीं होनी चाहिए, विशेषकर जब साक्ष्य स्पष्ट हों
