नक्सल मोर्चे पर बड़ा झटका: मारे गए 3 टॉप कमांडर, 60 लाख का इनामी गजरला रवि ढेर
अल्लूरी सीताराम में जारी है भीषण मुठभेड़, छत्तीसगढ़ सीमा पर बढ़ी हलचल
रायपुर/अमरावती | 18 जून 2025
नक्सल विरोधी ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित मारेडपल्ली जंगलों में ग्रेहाउंड्स फोर्स और नक्सलियों के बीच हुई जबरदस्त मुठभेड़ में वामपंथी उग्रवाद की रीढ़ कहे जाने वाले तीन बड़े नक्सली कमांडर मारे गए हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम है गजरला रवि — सेंट्रल कमेटी का मेंबर और 40 लाख का इनामी।
मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम जिले के एसपी अमित बरदार ने बताया कि ऑपरेशन अब भी जारी है और इलाके को घेरकर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
मारी गई अरुणा—नक्सली लीडर चलपति की पत्नी
ग्रेहाउंड्स की कार्रवाई में स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर (SZCM) अरुणा भी मारी गई है। अरुणा नक्सली लीडर चलपति की पत्नी थी और उस पर भी 20 लाख रुपये का इनाम था। एक तीसरे कैडर की भी मौत हुई है जिसकी पहचान अभी नहीं हो पाई है।
गजरला रवि—BSF हमले से लेकर जंगलों की रणनीति तक
गजरला रवि 2012 में बीएसएफ पर हमले का मास्टरमाइंड था। उसने अपने दस्ते के साथ मिलकर तीन जवानों की हत्या कर उनके हथियार लूट लिए थे। 2014 से वह फरार था और खास तौर पर छत्तीसगढ़ के सुकमा-दंतेवाड़ा इलाकों में सक्रिय था।

हालिया कार्रवाई में मारे गए टॉप लीडर्स
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13 दिन पहले बीजापुर में सेंट्रल कमेटी मेंबर सुधाकर (उर्फ नर सिंहाचलम), जिस पर 1 करोड़ का इनाम था, सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में मारा गया।
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12 दिन पहले इंद्रावती नेशनल पार्क में 45 लाख के इनामी भास्कर को ढेर किया गया।
इन दो बड़े एनकाउंटर के बाद अब मारेडपल्ली की कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि नक्सल शीर्ष नेतृत्व अब लगातार दबाव में है और उनकी पुरानी रणनीति तेजी से बिखर रही है।
शाह की चेतावनी: मार्च 2026 तक नक्सलवाद का सफाया
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूर्ण सफाया केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा था:
“जो हथियार छोड़कर लोकतंत्र की मुख्यधारा से नहीं जुड़ना चाहता, वह ऑपरेशन से नहीं बचेगा।”
फोर्स अब जंगलों में, नक्सलियों की मांद में घुसकर दे रही चुनौती
ग्रेहाउंड्स, DRG, STF और सीआरपीएफ की संयुक्त रणनीति अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि घेरकर मारने वाली बन चुकी है। एनकाउंटर की हालिया श्रृंखला यह दिखा रही है कि नक्सलियों के पारंपरिक गढ़ अब सुरक्षित नहीं रहे।
विश्लेषण:
इन घटनाओं के बाद यह स्पष्ट हो चला है कि सुरक्षाबलों की रणनीति अब हाई-प्रोफाइल लीडर्स को निशाना बनाने पर केंद्रित है। इससे संगठन की रीढ़ कमजोर पड़ रही है और निचले स्तर के कैडर्स में भय का माहौल है।
