फर्जी बिल और फर्जी ट्रांसपोर्टर्स का खुलासा: मोपेड-स्कूटर पर दिखाई 30 MT तक की सप्लाई, 150 करोड़ का रिकवरी नोटिस

फर्जी बिल और फर्जी ट्रांसपोर्टर्स का बड़ा नेटवर्क उजागर

राजस्व और कर विभाग की संयुक्त जांच में फर्जी बिलिंग और फर्जी ट्रांसपोर्टर्स के जरिए बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। जांच में पाया गया कि कई कारोबारी मोपेड और स्कूटर को ट्रांसपोर्ट वाहन दिखाकर 15 से 30 मीट्रिक टन तक के माल की सप्लाई दर्शा रहे थे। इस फर्जीवाड़े का उद्देश्य इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का अवैध फायदा उठाना था।

कैसे किया जा रहा था फर्जीवाड़ा?

  • ई-वे बिल और इनवॉइस में भारी माल वाहनों का विवरण दिखाया जाता

  • लेकिन वास्तविक डिलीवरी के लिए दो-पहिया वाहन या नकली वाहन नंबर दर्ज किए जाते

  • कंपनियों और सप्लायरों के बीच कागज़ी लेन-देन के जरिए करोड़ों का टैक्स क्रेडिट पास किया गया

  • कई परिवहन कंपनियाँ सिर्फ नाम की, जिनका कोई वास्तविक ऑफिस, वाहन या स्टाफ नहीं था

विभाग ने ऐसे 40 से अधिक फर्जी/ग़ैर-लाइसेंसधारी ट्रांसपोर्टर्स की पहचान की है।

150 करोड़ रुपये की रिकवरी नोटिस जारी

सूत्रों के अनुसार जांच के बाद कुल लगभग 150 करोड़ रुपये की टैक्स रिकवरी नोटिस संबंधित व्यापारिक इकाइयों को जारी की गई है।
दस्तावेज़ सत्यापन और खाते की ऑडिट प्रक्रिया जारी है।

विभाग की टिप्पणी

विभागीय अधिकारियों के अनुसार:

“यह एक संगठित नेटवर्क था, जिसका उद्देश्य राजस्व हानि पहुँचाकर अवैध लाभ अर्जित करना था। वाहन और दस्तावेजों की क्रॉस-चेकिंग से फर्जीवाड़ा स्पष्ट हुआ।”

अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया है कि कुछ मामलों में आपराधिक प्रावधानों के तहत कार्रवाई संभव है।

व्यवसाय को लेकर क्या है सलाह?

  • ई-वे बिल जारी करते समय वाहन नंबर और लॉजिस्टिक विवरण की सत्यता सुनिश्चित करें

  • फर्जी ट्रांसपोर्ट एजेंसियों से लेन-देन से बचें

  • सभी खरीद-बिक्री दस्तावेजों का डिजिटल और फिजिकल रिकॉर्ड सुरक्षित रखें

आगे क्या?

आने वाले दिनों में:

  • संबंधित इकाइयों के GST खाते की रिव्यू ऑडिट

  • बैंकिंग लेन-देन और सप्लायर चेन का सत्यापन

  • फर्जी कंपनियों की रजिस्ट्रेशन निरस्तीकरण प्रक्रिया