सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यूएपीए के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की जानी चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट को दिए आदेश में कहा कि फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों से संबंधित शरजील इमाम की जमानत याचिका का तेजी से निपटारा किया जाए।
ज्ञात हो कि इमाम पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों में उनकी कथित भूमिका के लिए कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप हैं।
दरअसल, अप्रैल 2022 से लंबित इमाम की जमानत याचिका को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में लाया गया था। हालांकि, न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने याचिका पर सुनवाई न करने का फैसला करते हुए कहा, “हम अनुच्छेद 32 की याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। इसे खारिज किया जाता है।”
क्या बोले वकील ?
वही, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि, इमाम की कानूनी टीम ने उनकी जमानत याचिका की सुनवाई में लंबे समय से देरी हो रही है। सात अलग-अलग बेंचों में 60 से अधिक बार सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने के बावजूद, इमाम की जमानत याचिका पर कोई निर्णय नहीं लिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इससे पहले सितंबर 2020 में इमाम की जल्द सुनवाई की याचिका को खारिज कर दिया था, जिससे उनकी जमानत पर फैसले के लिए उनका इंतजार और बढ़ गया था।
क्या किया था इमाम ने?
ज्ञात हो कि, इमाम समेत अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के पीछे बड़ा षड्यंत्र रचने के आरोप में यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के ठोस प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। सीएए और एनआरसी के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क उठी थी।