रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस में विवाद, 5 पार्षदों ने दिया इस्तीफा

रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस के 8 में से 5 पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह घटनाक्रम उस वक्त सामने आया जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) ने आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष घोषित किया।
इससे पहले शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने संदीप साहू को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया था और इस संबंध में औपचारिक पत्र भी जारी किया गया था। संदीप साहू ने पीसीसी के फैसले को “तानाशाही” करार देते हुए अपनी नाराज़गी जताई है।
इस्तीफा देने वाले पार्षद:
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संदीप साहू
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उपनेता प्रतिपक्ष जयश्री नायक
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रोनिता प्रकाश जगत
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दीप मनीराम साहू
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रेणु जयंत साहू
राजनीतिक आरोप और प्रतिक्रियाएँ
भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह ओबीसी समाज का अपमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सिर्फ ओबीसी की राजनीति करती है, लेकिन जब प्रतिनिधित्व देने की बारी आती है, तो नजरअंदाज कर देती है। संदीप साहू ओबीसी वर्ग से आते हैं और उन्हें हटाकर यह संदेश दिया गया है कि कांग्रेस में जातीय संतुलन नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस आपसी गुटबाजी और भाई-भतीजावाद में उलझी हुई है — “तेरा-मेरा” के चक्कर में जनता का हित पीछे छूट गया है।
नेतृत्व चयन में दो पत्रों से उपजा विवाद
पहले जारी पत्र में संदीप साहू को नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया था। संदीप का दावा है कि यह नियुक्ति PCC की पर्यवेक्षक प्रतिमा चंद्राकर की मौजूदगी में, सभी पार्षदों और विधायकों से चर्चा के बाद की गई थी। इसके बाद नगर निगम आयुक्त और महापौर को औपचारिक पत्र भी भेजा गया था।
16 अप्रैल को नया आदेश
16 अप्रैल को पीसीसी ने नई सूची जारी की जिसमें रायपुर नगर निगम से आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष और जयश्री नायक को उपनेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया गया। इसके विरोध में पार्टी के भीतर ही नाराज़गी सामने आई, साथ ही साहू समाज के कुछ लोगों ने कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर विरोध दर्ज कराया।
बगावत से वापसी तक
आकाश तिवारी को पहले कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था। अब पार्टी ने उन्हें वापस लेकर नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी सौंप दी है। दूसरी ओर, संदीप साहू अपने समर्थन और नियुक्ति प्रक्रिया को सही ठहराते हुए अपना दावा बनाए हुए हैं।
निष्कर्ष
इस पूरी स्थिति ने कांग्रेस की आंतरिक एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस्तीफा देने वाले पार्षदों की संख्या और पार्टी में बढ़ती नाराज़गी को देखते हुए आने वाले समय में रायपुर नगर निगम में राजनीतिक समीकरण और अधिक जटिल हो सकते हैं।