छत्तीसगढ़ ने कफ सिरपों पर लगाया बैन — दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए नया आदेश जारी

रायपुर, छत्तीसगढ़ — राज्य स्वास्थ्य विभाग ने एक नई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य नीति की घोषणा की है — छत्तीसगढ़ सरकार ने दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सभी प्रकार की कफ (खाँसी) सिरपों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इस निर्णय के पीछे स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं, और इसे व्यापक रूप से लागू करने का निर्देश समस्त जिलों के चिकित्सा अधिकारियों को दिया गया है।

इस ब्लॉग में हम इस आदेश के प्रमुख बिन्दु, पृष्ठभूमि, संभावित चुनौतियाँ और जन–जागरूकता उपाय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

🏥 आदेश का सार और लागू की जाने वाली व्यवस्था

  1. कौन प्रतिबंधित है:
    यह प्रतिबंध उन कफ सिरपों पर लागू होगा, जिन्हें आमतौर पर बच्चों में खाँसी, जुकाम या ठंडी-गले की समस्या के इलाज में उपयोग किया जाता है — विशेषकर दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई भी कफ सिरप अब उपलब्ध नहीं होगा।

  2. स्वास्थ्य विभाग की अधिसूचना:
    राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), जिला सर्जन और फार्मेसी नियंत्रण विभाग को यह आदेश दिया है कि वे तुरंत इस नीति को लागू करें।

  3. दर्जी की आवश्यकता:
    यदि किसी विशेष चिकित्सा कारण से कफ-संबंधी दवा देना अनिवार्य हो, तो केवल डॉक्टर की पर्ची पर, विशेषज्ञ सलाह पर, और विशेष मंजूरी के साथ ही देना संभव होगा — सामान्य बिक्री बंद हो जाएगी।

  4. चिकित्सा दुकानों और स्टॉकिस्टों पर कार्रवाई:
    जिन मेडिकल स्टोर, क्लीनिक या स्टॉकिस्टों द्वारा इस निर्देश का उल्लंघन किया जाएगा, उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी — लाइसेंस निलंबन, जुर्माना या अन्य कानूनी कदम।

  5. नाम हटाना एवं रिकॉल आदेश:
    यदि राज्य या केंद्र सरकार की सूची में किसी कफ सिरप को संदिग्ध पाया जाता है, उसके सभी अस्तित्व में स्टॉक को रिकॉल करने और उसका वितरण बंद करने का निर्देश भी दिया गया है।

📌 पृष्ठभूमि: क्यों उठाया यह कदम?

स्वास्थ्य खतरों की चिंताएं

  • हालिया राष्ट्रीय घटनाओं ने दवाओं में अशुद्ध सामग्री, गुणवत्ता दोष और खराब विनियमन की खामियाँ उजागर की हैं।

  • उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में कफ सिरपों से जुड़ी मृत्यु की घटनाएँ सामने आई हैं, जिसके बाद केंद्र सरकार ने बच्चों के लिए कफ दवाओं के प्रयोग पर विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश जारी किया।

  • केंद्र सरकार ने भी DGHS (Directorate General of Health Services) के माध्यम से सलाह दी है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कफ-संबंधी दवाएं न दी जाएँ।

विश्व स्तरीय उदाहरण

दक्षिण एशिया एवं अन्य देशों में दुषित कफ सिरपों से बच्चों की मौत की घटनाएँ दर्ज हुई हैं — जैसे कि उज़्बेकिस्तान में 2022 में ऐसी दवाओं से कई बच्चों की मृत्यु हुई थी।

इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि दवाओं की सफाई, नियंत्रण और पारदर्शिता में कमी से जीवन को गंभीर खतरा हो सकता है।

⚠️ चुनौतियाँ और आलोचनाएँ

  • चिकित्सकीय आवश्यकता:
    कुछ बच्चों को गंभीर खाँसी, श्वसन पथ संबंधी विकार आदि हो सकते हैं, जहाँ डॉक्टर न देने की स्थिति में माता-पिता चिंित हो सकते हैं। ऐसे मामलों में तय प्रक्रिया एवं विशेषज्ञ सलाह ज़रूरी होगी।

  • वैकल्पिक दवाओं पर दबाव:
    जिन दवाओं पर प्रतिबंध लगेगा, उन की जगह पर सुरक्षित, परीक्षण-मानक वैकल्पिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

  • रिटेलर और फार्मेसी को अनुकूल बनाना:
    ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में मेडिकल दुकानों को यह आदेश समझाना, उनका सहयोग लेना, और निगरानी बनाना कठिन हो सकता है।

  • नियंत्रण एवं सत्यापन:
    यह सुनिश्चित करना कि राज्य में प्रतिबंधित दवाएँ बाजार में न पहुँचें — इसके लिए ड्रग नियंत्रण विभागों को सतर्क रहना होगा और नियमित निरीक्षण करना होगा।

🛡️ जनता के लिए सलाह और सावधानियाँ

  • यदि आपके घर में दो वर्ष से कम उम्र का बच्चा है और उसे खाँसी या जुकाम हो, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लेंस्वयं दवा न दें और अनियंत्रित कफ सिरप उपयोग न करें।

  • फार्मेसी में पूछें कि दवा पर्ची पर आधारित है या नहीं; यदि बिना पर्ची दवा दी जाए, तो उसका सेवन करने से पहले सत्यापन करें।

  • बच्चों को गर्म तरल, भाप लेना, नमक पानी की गरारे, पर्याप्त आराम आदि चिकित्सा सहायता उपाय अपनाएँ।

  • यदि किसी मेडिकल स्टोर या दवा विक्रेता द्वारा इस नए निर्देश का उल्लंघन करते हुए दवा दी जाए, तो उसे न खरीदें और स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दें।

✅ निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाला कदम है। विशेष रूप से छोटे बच्चों की देखभाल में यह आदेश उनकी सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस नीति का सफल कार्यान्वयन तभी संभव है जब चिकित्सा प्रतिष्ठान, फार्मेसियां, डॉक्टर और जनता मिलकर इसके अनुपालन में सहयोग करें।

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