RI परीक्षा 2024 में रिश्तेदारी का भ्रम या गड़बड़ी? जांच रिपोर्ट पर भी उठे सवाल, अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में

रायपुर।
छत्तीसगढ़ में आयोजित राजस्व निरीक्षक (RI) विभागीय परीक्षा 2024 में गड़बड़ी के आरोपों पर बनी जांच कमेटी की रिपोर्ट खुद सवालों के घेरे में आ गई है। RTI से प्राप्त दस्तावेजों में जिन 22 अभ्यर्थियों को आपस में रिश्तेदार बताया गया, उनमें से कई एक-दूसरे को जानते तक नहीं हैं। इससे जांच की निष्पक्षता और गहराई पर गंभीर संदेह खड़े हो गए हैं।

“रिश्तेदार बताया, पर हम एक-दूसरे को जानते तक नहीं” – चयनित अभ्यर्थी का बयान

अमित सिन्हा, जिनका चयन इस परीक्षा में हुआ, का कहना है कि उन्हें दो अन्य अभ्यर्थियों लोकनाथ सिन्हा और रविन्द्र कुमार का रिश्तेदार बताकर जांच में शामिल किया गया, जबकि वे न तो एक-दूसरे से परिचित हैं और न ही एक ही वर्ग से आते हैं।

  • अमित सिन्हा: जनरल कायस्थ वर्ग

  • लोकनाथ सिन्हा: OBC वर्ग

  • रविन्द्र कुमार: ST वर्ग (बस्तर)

सिर्फ समान पिता के नाम या पास-पास रोल नंबर होने के कारण इन्हें एक साथ जोड़ दिया गया। अमित का आरोप है कि जांच समिति ने बिना कोई संपर्क, बयान या तथ्य की पुष्टि किए रिश्ता मान लिया।

बैठक व्यवस्था अलग, फिर भी रिश्तेदारी का दावा

एक अन्य चयनित अभ्यर्थी जितेन्द्र ध्रुव, पटवारी (बिलासपुर) ने बताया कि वे और उनके भाई निमेश ध्रुव (पटवारी, बेमेतरा) दोनों परीक्षा में शामिल हुए थे। रोल नंबर पास थे, लेकिन परीक्षा केंद्र में बैठने की व्यवस्था पूरी तरह अलग थी। फिर भी उन्हें “रिश्तेदार जोड़कर गड़बड़ी” के आरोप में घसीटा गया।

आंकड़ों की कहानी और विरोधाभास

  • परीक्षा: 07 जनवरी 2024

  • शामिल अभ्यर्थी: 2600+ पटवारी

  • चयनित प्रशिक्षण हेतु: 216

  • अंतिम चयनित: 13

  • जांच कमेटी ने जिन पर सवाल उठाए: 22

  • RTI से मिले आंकड़ों के अनुसार: 72 अभ्यर्थी आपस में किसी न किसी रूप में जुड़े हुए बताए गए

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि परीक्षा में पारदर्शिता को लेकर संदेह बना हुआ है, लेकिन जांच रिपोर्ट और विधानसभा में दिए गए जवाबों में भी विरोधाभास है।

जांच प्रक्रिया पर भी उठे सवाल

राजस्व पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भागवत कश्यप ने रिश्तेदारों के सुनियोजित चयन का आरोप लगाते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। इसके बाद विभाग ने जांच कमेटी गठित की, जिसने कुछ मामलों को सही और कुछ को निराधार बताया।

लेकिन जांच के बीच अभ्यर्थियों से कोई सीधा संवाद नहीं किया गया, जिससे कमेटी की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठे।

पुरानी OMR शीट का भी हुआ इस्तेमाल, उठे तकनीकी सवाल

इस परीक्षा में 2018 की OMR शीट का इस्तेमाल किया गया, जिसमें परीक्षार्थियों से मोबाइल नंबर भरवाए गए। यह गोपनीयता के नियमों का उल्लंघन माना जाता है, खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं में। विभाग का कहना है कि यह विभागीय परीक्षा थी, जिसमें सभी अभ्यर्थियों की जानकारी पहले से रिकॉर्ड में थी।

फिर भी पुराने फॉर्मेट का इस्तेमाल परीक्षा प्रक्रिया को संदेह के घेरे में लाता है।

EOW को पत्र लिखकर जांच में तेजी की मांग

लंबित ट्रेनिंग और अनिश्चित भविष्य को लेकर चयनित अभ्यर्थियों ने EOW को पत्र लिखकर मांग की है कि जांच में तेजी लाई जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो। उनका कहना है कि परीक्षा वैध मानी जा चुकी है, फिर भी ट्रेनिंग शुरू नहीं की गई।

अब मामला तीसरी बार सौंपा गया EOW/ACB को

सारी उठापटक के बाद अब यह मामला तीसरी बार आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) / ACB को सौंपा गया है। विभाग का कहना है कि अब स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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