भारतमाला प्रोजेक्ट में 43 करोड़ का मुआवजा घोटाला: ACB-EOW की 20 जगहों पर छापेमारी, SDM से लेकर पटवारी तक घेरे में

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण को लेकर हुए मुआवजा घोटाले की जांच अब तेज़ हो गई है। एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीम ने शुक्रवार सुबह नया रायपुर, अभनपुर, दुर्ग-भिलाई समेत प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी की। कार्रवाई में करीब 17 से 20 अधिकारियों के ठिकानों को खंगाला गया, जिनमें SDM, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक शामिल हैं।

बिलासपुर में अतिरिक्त तहसीलदार लखेश्वर राम के घर 6 से अधिक अधिकारी जांच कर रहे हैं। छापेमारी का विरोध करते हुए उनके परिजनों ने जांच में बाधा डालने की कोशिश की।

महंत ने पीएमओ को भेजी थी चिट्ठी, CBI जांच की उम्मीद

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भारतमाला प्रोजेक्ट में घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखा। PMO ने इस पर संज्ञान लिया और खुद डॉ. महंत ने इसकी पुष्टि की। उनका कहना है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस मामले की सीबीआई जांच का निर्णय ले सकती है।

क्या है पूरा मामला?

भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक बन रहे इकोनॉमिक कॉरिडोर में जमीन अधिग्रहण के दौरान 43 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। योजना के अनुसार मुआवजा करीब 29.5 करोड़ का होना था, लेकिन जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर 78 करोड़ रुपए का भुगतान दर्शाया गया।

इस घोटाले को अंजाम देने के लिए SDM, पटवारी और भू-माफियाओं के एक सिंडिकेट ने बैक डेट में दस्तावेज बनाए। दस्तावेजों में हेरफेर कर जमीन को 159 खसरे में बांटा गया और रिकॉर्ड में 80 नए नाम जोड़ दिए गए।

पूर्व में दो अधिकारियों पर हो चुकी है कार्रवाई

इससे पहले दैनिक भास्कर डिजिटल की खबर के बाद कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड किया गया था। उनसे पहले जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू पर भी गाज गिरी थी। दोनों अधिकारियों पर जांच रिपोर्ट तैयार होने के 6 महीने बाद कार्रवाई हुई।

एक ही परिवार के नाम पर 70 करोड़ का मुआवजा

जांच में खुलासा हुआ कि अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में चार एकड़ जमीन, जो पहले एक परिवार के पास थी, उसे सर्वे से ठीक पहले उसी परिवार के 14 लोगों के नाम पर बांट दिया गया। इसके बाद इन सभी को मिलाकर 70 करोड़ रुपए का मुआवजा दे दिया गया।

राजस्व विभाग की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि दस्तावेजों को बैक डेट में तैयार किया गया और जमीन मालिक को नुकसान पहुंचाया गया।

NHAI की आपत्ति के बाद रोका गया भुगतान

रायपुर-विजाग कॉरिडोर में हुई आर्थिक गड़बड़ी को लेकर NHAI ने भी आपत्ति जताई थी। इसके बाद यह रिपोर्ट सचिव, राजस्व विभाग को भेजी गई और 78 करोड़ रुपए का मुआवजा भुगतान फिलहाल रोक दिया गया है।

अभनपुर बेल्ट में 9.38 किलोमीटर सड़क के लिए कुल 324 करोड़ मुआवजा निर्धारित किया गया था, जिसमें से अब तक 246 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।

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