संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामा

बिजली आपूर्ति, महंगाई और रोजगार को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा; कई मुद्दों पर स्थगन प्रस्ताव

नई दिल्ली।

संसद का शीतकालीन सत्र लगातार राजनीतिक हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। सत्र के दौरान बिजली आपूर्ति की स्थिति, बढ़ती महंगाई और देश में रोजगार के अवसरों को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को कड़े सवालों के घेरे में लिया। इन मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर दोनों सदनों में स्थगन प्रस्ताव लाए गए, जिससे कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने आरोप लगाया कि आम जनता महंगाई से बुरी तरह प्रभावित है, जबकि बिजली कटौती और ऊर्जा संकट से उद्योगों तथा घरेलू उपभोक्ताओं को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही बेरोजगारी का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया। विपक्ष का कहना है कि सरकार के दावे जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते।

विपक्ष की प्रमुख मांगें

विपक्षी सांसदों ने मांग की कि सरकार बिजली उत्पादन और वितरण से जुड़ी समस्याओं पर तत्काल श्वेत पत्र जारी करे। साथ ही आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी पर नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति पेश करने की अपील की गई। रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष ने संसद में विस्तृत चर्चा की मांग करते हुए कहा कि युवाओं के लिए स्थायी और सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।

सरकार का पक्ष

सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री और संबंधित विभागों के मंत्रियों ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बिजली आपूर्ति को मजबूत करने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं लागू की जा रही हैं। महंगाई पर नियंत्रण के लिए वित्तीय और नीतिगत कदम उठाए गए हैं, जबकि रोजगार सृजन के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अवसर बढ़ाए जा रहे हैं।

कार्यवाही पर असर

लगातार नारेबाजी और व्यवधान के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। अध्यक्ष और सभापति ने सदस्यों से शांति बनाए रखने और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के तहत चर्चा करने की अपील की, लेकिन गतिरोध बना रहा।

आगे की राह

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सरकार और विपक्ष के बीच संवाद नहीं बढ़ा, तो सत्र के शेष दिनों में भी अहम विधायी कार्य प्रभावित हो सकते हैं। जनता से जुड़े मुद्दों पर सार्थक बहस और समाधान की अपेक्षा देशभर में की जा रही है।