किफायती दवा से बढ़ी ब्रेस्ट कैंसर मरीजों की जिंदगी — टाटा मेमोरियल ने किया बड़ा खुलासा
मुंबई, 25 अक्टूबर 2025 | स्वास्थ्य रिपोर्ट
भारत के टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC) ने ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि एक पुरानी और सस्ती दवा ‘कार्बोप्लाटिन’ (Carboplatin) को पारंपरिक कीमोथेरेपी के साथ जोड़ने से महिलाओं की जीवन-दर (survival rate) में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है — खासकर उन मरीजों में जिन्हें ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (TNBC) है।
🔬 अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
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टाटा मेमोरियल अस्पताल की टीम ने 1,000 से अधिक मरीजों पर 10 साल तक चले इस अध्ययन में यह पाया कि:
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पारंपरिक कीमोथेरेपी के साथ कार्बोप्लाटिन जोड़ने से कुल मिलाकर 10 वर्ष की जीवित रहने की दर में 7.6% की वृद्धि हुई।
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50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में यह बढ़त और भी ज्यादा रही — लगभग 12-13% तक।
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यह दवा महंगी नहीं है — पूरा कोर्स लगभग ₹5,000 में पूरा किया जा सकता है।
💡 क्यों है यह खोज खास?
ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (TNBC) वह प्रकार है जिसमें हॉर्मोन थैरेपी या टार्गेटेड दवा काम नहीं करती। भारत में हर साल लगभग 30-35% ब्रेस्ट कैंसर केस इसी श्रेणी के होते हैं, जो ज़्यादातर युवा महिलाओं में पाए जाते हैं।
इस शोध ने यह साबित किया है कि महंगी नई दवाओं के बजाय मौजूदा और सस्ती दवाएं भी लंबे समय तक मरीजों की जान बचा सकती हैं।
टाटा मेमोरियल के ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. सौमित्र बंद्योपाध्याय ने बताया —
“हमारा उद्देश्य भारत जैसे देश में ऐसे उपचार विकल्प देना है जो वैज्ञानिक रूप से प्रभावी हों और आम मरीज भी वहन कर सके।”
❤️ कैंसर सर्वाइवरों के लिए नई ‘लाइफलाइन’: दिल की बीमारी से सुरक्षा
इसी बीच, दिल्ली से एक और हेल्थ अपडेट आई है — भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नया रिस्क-प्रेडिक्शन टूल तैयार किया है जो यह बता सकता है कि ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हो चुके मरीजों में भविष्य में हार्ट डिजीज (cardiomyopathy) का खतरा कितना है।
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यह टूल मरीज की उम्र, पहले से मौजूद हार्ट-कंडीशंस और कीमो/रेडिएशन थैरेपी के प्रकार को ध्यान में रखकर जोखिम का अनुमान लगाता है।
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इससे डॉक्टरों को यह तय करने में मदद मिलेगी कि किसे इलाज के बाद कार्डिएक मॉनिटरिंग की जरूरत है।
यह पहल इसलिए अहम है क्योंकि भारत में बहुत से कैंसर सर्वाइवर बाद में हृदय रोग, डायबिटीज़ या हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं का सामना करते हैं।
🧭 विशेषज्ञों की राय
ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञों का मानना है कि ये दोनों खोजें भारत में कैंसर उपचार को अधिक सुलभ और सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम हैं।
जहां कार्बोप्लाटिन जैसी पुरानी दवाओं से इलाज सस्ता और प्रभावी बनेगा, वहीं नया हार्ट-रिस्क टूल मरीजों की लॉन्ग-टर्म हेल्थ को बेहतर बनाएगा।
