बार काउंसिलिंग विधि व्यवसाय की रीढ़: सुमित

रायपुर।

राजधानी में आयोजित जिला बार एसोसिएशन के विशेष अधिवक्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता सुमित ने अपने संबोधन में कहा कि “बार काउंसलिंग केवल सलाह भर नहीं, बल्कि विधि व्यवसाय की असली रीढ़ है।” सुमित के इस वक्तव्य ने युवा अधिवक्ताओं और विधि समुदाय में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। कानूनी पेशे में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, जटिल कानूनों और नए तकनीकी बदलावों के बीच बार काउंसलिंग की महत्वता अब पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।

कार्यक्रम में उपस्थित सैकड़ों युवा वकीलों ने सुमित के वक्तव्य का समर्थन किया और कहा कि अदालतों में शुरुआती संघर्ष, केस की समझ, ड्राफ्टिंग, पेशेवर आचरण और क्लाइंट हैंडलिंग—इन सभी चरणों में अनुभवी अधिवक्ताओं का काउंसलिंग मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सुमित ने क्यों कहा कि काउंसलिंग है विधि व्यवसाय की रीढ़?

सुमित ने अपने संबोधन में तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया:

  1. कानून का ज्ञान तब तक अधूरा है, जब तक अनुभवी वकीलों की काउंसलिंग न मिले।

  2. कोर्ट-रूम प्रैक्टिस किताबों से नहीं आती, यह सीखने के लिए मार्गदर्शन अनिवार्य है।

  3. बार काउंसलिंग पेशेवर नैतिकता, व्यवहार और संतुलन बनाए रखने का मूल आधार है।

उन्होंने कहा:

“कई युवा वकील कानून पढ़कर अदालत आते हैं, पर उन्हें यह नहीं बताया जाता कि न्यायालय में कैसे खड़ा होना है, कैसे वकालतनामा पेश करना है, बहस किस तरह करनी है या जज के सवालों का किस ढंग से उत्तर देना है। यही ज्ञान काउंसलिंग देती है।”

युवा वकीलों के लिए काउंसलिंग क्यों जरूरी?

इस पर सुमित ने विस्तार से कहा कि युवा वकीलों के सामने आज कई चुनौतियाँ हैं:

  • जटिल केस लॉ

  • डिजिटल साक्ष्य

  • साइबर अपराधों से जुड़े मुकदमे

  • क्रॉस एग्जामिनेशन की कठिन तकनीक

  • फाइल मैनेजमेंट और ड्राफ्टिंग का दबाव

  • क्लाइंट की अपेक्षाएँ और समय-सीमा

इन सभी क्षेत्रों में काउंसलिंग युवा अधिवक्ताओं को न केवल तकनीकी सहायता देती है, बल्कि भावनात्मक और पेशेवर मार्गदर्शन भी प्रदान करती है।

“गलत दिशा में जाने से बचाती है बार काउंसलिंग”

कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मानना है कि जब युवा वकील बिना मार्गदर्शन के प्रैक्टिस शुरू करते हैं, तो वे प्रारंभिक वर्षों में कई ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जिनका असर लंबे समय तक पड़ता है।

सुमित ने कहा:

“काउंसलिंग युवा वकीलों को गलत दिशा में जाने से रोकती है। यह उन्हें समय के अनुशासन, दस्तावेजों की शुद्धता, क्लाइंट के प्रति जिम्मेदारी और अदालत की गरिमा समझने में मदद करती है।”

उन्होंने यह भी कहा कि एक खराब केस प्रस्तुति या नासमझी भरा व्यवहार किसी वकील की साख पर गहरा असर डाल सकता है। इसलिए काउंसलिंग एक सुरक्षात्मक ढाल की तरह काम करती है।

बार एसोसिएशन की भूमिका पर जोर

सुमित ने बार एसोसिएशन के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि संगठन निम्न कदम उठाकर युवा वकीलों का भविष्य मजबूत कर सकता है:

  • नियमित वर्कशॉप

  • मुकदमे की रणनीति पर प्रशिक्षण

  • केस स्टडी व सेमिनार

  • कोर्ट प्रक्रिया पर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग

  • भाषा, ड्राफ्टिंग और प्रस्तुति कौशल सिखाना

  • वरिष्ठ वकीलों और युवाओं को जोड़ने वाला मेंटरशिप मॉडल

उन्होंने कहा कि हर जिले की बार एसोसिएशन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर युवा अधिवक्ता को शुरुआत से ही ‘सिस्टमेटिक काउंसलिंग’ प्राप्त हो।

विधिक समुदाय में स्वागत

सुमित की टिप्पणी को विधिक समुदाय में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में:

  • फास्ट-ट्रैक कोर्ट

  • ऑनलाइन हियरिंग

  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग

  • डिजिटल साक्ष्य

  • न्यायालयों में बढ़ते मामलों का दबाव

इन सबके चलते युवा वकीलों के लिए चुनौतियाँ काफी बढ़ गई हैं। ऐसे समय में बार काउंसलिंग का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

कानून की पढ़ाई बनाम वास्तविक कोर्ट प्रैक्टिस

कार्यक्रम में मौजूद एक वरिष्ठ जज ने भी कहा कि भारत में विधि शिक्षा पुस्तक-ज्ञान पर आधारित है, जबकि कोर्ट प्रैक्टिस पूरी तरह कौशल आधारित है।

उन्होंने कहा:

“किताबें कानून बताती हैं, लेकिन कोर्ट में उसे कैसे लागू करना है, यह काउंसलिंग ही सिखाती है।”

यही कारण है कि कई बार टॉप कॉलेजों के छात्र भी कोर्ट के व्यवहारिक नियमों में संघर्ष करते देखे जाते हैं।

काउंसलिंग से पनपता है पेशेवर नैतिकता का भाव

विधि क्षेत्र में नैतिकता को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। सम्मान, मर्यादा और सत्यनिष्ठा इस पेशे की पहचान हैं।

सुमित ने कहा:

“काउंसलिंग केवल कानूनी प्रशिक्षण नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण भी है। यह वकील को बताती है कि न्यायालय में किस तरह की भाषा, आचरण और संजीदगी अपेक्षित है।”

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि युवा वकीलों को क्लाइंट से फीस, केस की वास्तविक स्थिति और समयसीमा के बारे में स्पष्ट संवाद सिखाना भी काउंसलिंग की प्रमुख भूमिका है।

भविष्य में क्या होना चाहिए?

कार्यक्रम के अंत में सुमित ने प्रस्ताव रखा कि:

  • हर नई पीढ़ी के वकीलों के लिए अनिवार्य काउंसलिंग सिस्टम बने

  • अनुभव और प्रैक्टिकल ज्ञान को अधिक महत्व दिया जाए

  • वरिष्ठ-जूनियर मॉडल को मजबूत किया जाए

  • डिजिटल टूल्स पर प्रशिक्षण दिया जाए

  • विधिक सहायता शिविरों में युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जाए

उन्होंने कहा कि यदि बार काउंसलिंग को व्यवस्थित रूप से लागू किया जाए, तो छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर की विधिक प्रणाली अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनेगी।

निष्कर्ष

“बार काउंसलिंग विधि व्यवसाय की रीढ़ है”—सुमित का यह वक्तव्य आधुनिक कानूनी जगत की वास्तविक स्थिति को सटीक रूप से दर्शाता है। वकील का पेशा केवल कानून पढ़ने तक सीमित नहीं है; यह पेशा निरंतर सीख, मार्गदर्शन, अनुभव और नैतिकता की मांग करता है।

बार काउंसलिंग न केवल युवा वकीलों को दिशा देती है, बल्कि पूरे न्यायिक ढांचे को मजबूत बनाती है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि काउंसलिंग मजबूत होगी तो विधि व्यवस्था और भी अधिक प्रभावी, संवेदनशील और न्याय-सम्मत होगी।