B.Ed सहायक शिक्षकों का आंदोलन जारी, 111वें दिन चुनरी यात्रा निकालकर मांगी न्याय की दुआ

छत्तीसगढ़ में बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षक 111 दिनों से समायोजन और सेवा सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। गुरुवार को रायपुर में 2,621 फीट लंबी चुनरी यात्रा निकाली गई, जो भाठागांव ISBT से शीतला माता मंदिर तक पहुंची। शिक्षकों ने इस आयोजन को श्रद्धा और संघर्ष का प्रतीक बताया।

महिला शिक्षकों ने आत्मसम्मान की लड़ाई बताई

महिला शिक्षकों ने कहा कि उनकी यह लड़ाई केवल नौकरी की नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की भी है। नवरात्रि शक्ति आराधना का पर्व है, इसलिए उन्होंने मां दुर्गा से न्याय की प्रार्थना की। शिक्षिका गायत्री देवी मिंज ने कहा, “हमने अपने विद्यार्थियों को घर और स्कूल दोनों संभाला, अब अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।” शिक्षिका निकिता देशमुख ने सवाल उठाया कि जब नवरात्रि में देवियों की पूजा हो रही है, तो शिक्षिकाओं की मांगों को अनदेखा क्यों किया जा रहा है?

सरकार से सकारात्मक फैसले की उम्मीद

आज मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई उच्च स्तरीय समिति की दूसरी बैठक प्रस्तावित है। शिक्षकों को उम्मीद है कि समिति उनकी मांगों पर सकारात्मक फैसला लेगी। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार पर भरोसा जताते हुए कहा कि वे न्याय की उम्मीद रखते हैं।

आंदोलन का सफर: 111 दिनों में कई चरणों से गुजरा संघर्ष

14 दिसंबर 2024: अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू हुई, 19 दिसंबर से धरना शुरू हुआ।
22 दिसंबर: धरना स्थल पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाया गया।
26 दिसंबर: शिक्षकों ने सामूहिक मुंडन कराया, महिला शिक्षकों ने भी बाल कटवाए।
28 दिसंबर: यज्ञ और हवन कर प्रदर्शन किया, चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे।
30 दिसंबर: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया।
1 जनवरी 2025: बीजेपी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का घेराव किया, पुलिस ने गिरफ्तार किया।
2 जनवरी: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आंदोलन को समर्थन दिया।
3 जनवरी: सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 5 अधिकारियों की उच्च स्तरीय समिति बनाई।
6 जनवरी: राज्य निर्वाचन आयोग को ज्ञापन देकर मतदान बहिष्कार की चेतावनी दी।
10 जनवरी: NCTE की शवयात्रा निकालकर प्रदर्शन किया।
12 जनवरी: माना से शदाणी दरबार तक दंडवत यात्रा निकाली गई।
17 जनवरी: पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने आंदोलन को समर्थन दिया।
18 जनवरी: सुबह 5 बजे मंत्री ओपी चौधरी के बंगले का घेराव किया।
19 जनवरी: तेलीबांधा में चक्काजाम कर प्रदर्शन किया।
20 जनवरी: नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण आंदोलन अस्थायी रूप से स्थगित करना पड़ा।

शिक्षकों को जनता का समर्थन, सरकार से उम्मीद

आंदोलन को जनता का भी व्यापक समर्थन मिला है। शिक्षकों का कहना है कि यह केवल उनकी नौकरी का सवाल नहीं, बल्कि शिक्षा और सामाजिक न्याय की लड़ाई भी है। अब सरकार की ओर से सकारात्मक फैसले की उम्मीद है, जिससे यह लंबा संघर्ष समाप्त हो सके।

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