अमित बघेल का विवादित बयान: “मारवाड़ी-सिंधी समाज ने छत्तीसगढ़ के लिए क्या किया?” — माफी मांगने पर बोले, “FIR से पहले बात क्यों नहीं की, जैसा करोगे वैसा पाओगे”
 
                📰 रायपुर में गरमाई राजनीति
छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस नेता अमित बघेल के बयान ने मारवाड़ी और सिंधी समाज को आक्रोशित कर दिया है। उन्होंने एक सभा में कहा —
“मारवाड़ी और सिंधी समाज ने छत्तीसगढ़ के लिए क्या किया है?”
इस बयान के बाद प्रदेशभर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे एक समुदाय विशेष पर टिप्पणी बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
🔥 अमित बघेल के बयान से बढ़ा विवाद
अमित बघेल ने अपने भाषण में यह भी कहा कि “जो छत्तीसगढ़ की मिट्टी से नहीं जुड़ा, उसे प्रदेश की राजनीति पर बोलने का हक नहीं है।”
उनके इस बयान को सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर किया जा रहा है। कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।
🧾 FIR दर्ज, कांग्रेस नेता का पलटवार
मारवाड़ी-सिंधी संगठनों ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित बघेल ने कहा —
“FIR से पहले मुझसे बात क्यों नहीं की? पहले चर्चा करनी चाहिए थी। जैसा करोगे, वैसा पाओगे।”
उन्होंने दावा किया कि उनके बयान को “राजनीतिक रूप से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है” और उनका मकसद किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।
🗣️ कांग्रेस ने दी सफाई, विपक्ष ने साधा निशाना
कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि अमित बघेल के बयान को संदर्भ से हटाकर देखा जा रहा है। उनका उद्देश्य समाज को बांटना नहीं, बल्कि राज्य के विकास में हर समुदाय की भूमिका पर चर्चा करना था।
वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि “कांग्रेस नेता लगातार समाज में वैमनस्य फैलाने वाले बयान दे रहे हैं और सरकार चुप बैठी है।”
🏛️ सामाजिक संगठनों की मांग — सार्वजनिक माफी
राजधानी रायपुर सहित दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में सिंधी और मारवाड़ी समाज के लोगों ने बघेल के खिलाफ नारेबाजी की। संगठनों ने मांग की कि वे सार्वजनिक रूप से माफी मांगें और समुदाय की भावनाओं का सम्मान करें।
💬 अमित बघेल का जवाब
अमित बघेल ने अपने स्पष्टीकरण में कहा —
“मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। मैंने सिर्फ यह कहा था कि हर समाज को राज्य के विकास में भागीदारी करनी चाहिए। यदि किसी को बुरा लगा हो तो मैं व्यक्तिगत तौर पर खेद व्यक्त करता हूं, लेकिन FIR दर्ज करना उचित नहीं।”
⚖️ मामला अब राजनीतिक बहस में तब्दील
यह विवाद अब सियासी रंग ले चुका है। एक तरफ विपक्ष इसे “कांग्रेस की साम्प्रदायिक सोच” बता रहा है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस इसे “राजनीतिक नाटक” कह रही है।
राज्य पुलिस ने फिलहाल जांच शुरू कर दी है और दोनों पक्षों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया है।
📅 संभावित असर
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में रहने वाले व्यापारी समुदायों के बीच इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।
🌿 निष्कर्ष
अमित बघेल का यह बयान अब छत्तीसगढ़ की सियासत में नया मोड़ लेकर आया है। जहां एक ओर सामाजिक समरसता की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक बयानबाजी से माहौल गरमाया हुआ है।
अब देखना होगा कि यह विवाद शांत होता है या और गहराता है।

