“छात्रा से यौन उत्पीड़न का आरोप, मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर पर FIR दर्ज, पद से हटे, फिर हुए फरार”

रायपुर के पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशीष सिन्हा पर उन्हीं के विभाग की एक छात्रा ने यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। मौदहापारा थाना पुलिस ने डॉ. सिन्हा के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। केस दर्ज होते ही डॉ. सिन्हा कॉलेज को बिना सूचना दिए फरार हो गए।

जांच में सामने आया है कि डॉ. सिन्हा पिछले एक साल से छात्रा को मानसिक रूप से परेशान कर रहे थे। वे उसे बार-बार केबिन में बुलाकर अनुचित व्यवहार करते थे, और व्हाट्सऐप पर अशोभनीय संदेश भेजते थे। चैट्स से यह भी सामने आया है कि उन्होंने छात्रा को डिनर और कॉकटेल के लिए आमंत्रित किया था, साथ ही प्रोफाइल डीपी बदलने जैसे व्यक्तिगत निर्देश भी दे रहे थे। उन्होंने छात्रा की गतिविधियों पर नजर रखते हुए कई टिप्पणियां भी कीं, जिनमें कॉलेज कार्यक्रम के दौरान वीडियो बनाने को लेकर अनुचित टिप्पणी भी शामिल है।

यह पहली बार नहीं है जब डॉ. सिन्हा विवादों में फंसे हैं। इससे पहले भी सिकल सेल संस्थान के कर्मचारियों ने उनके खिलाफ मानसिक प्रताड़ना की शिकायत की थी। साथ ही वित्तीय अनियमितता के मामलों में भी उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई थी।

छात्रा द्वारा POSH एक्ट के तहत फरवरी में शिकायत की गई थी, जिसके बाद आंतरिक समिति ने जांच कर शिकायत को सही पाया और डॉ. सिन्हा को विभागाध्यक्ष पद से हटा दिया गया। इसके बाद उन्होंने छात्रा को परीक्षा में फेल करने की धमकी दी और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का सिलसिला जारी रखा। पीड़िता के अनुसार, उन्होंने उसे बार-बार केबिन में बुलाकर अनुचित स्पर्श किया, जिसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा।

पीड़िता ने अप्रैल में स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया से भी शिकायत की थी, लेकिन तीन महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी का फायदा उठाकर डॉ. सिन्हा ने अपनी हरकतें जारी रखीं। FIR के बाद से डॉ. सिन्हा फरार हैं। उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका नंबर बंद है। स्वास्थ्य सचिव की ओर से भी अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

वहीं, वर्ष 2020 में जब डॉ. सिन्हा को सिकल सेल संस्थान का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था, तब कर्मचारियों ने उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा के प्रयोग और मानसिक प्रताड़ना की शिकायत की थी। महिला कर्मचारियों ने बताया कि वे उनके सामने अभद्र भाषा का प्रयोग करते थे जिससे वे असहज महसूस करती थीं।

इतना ही नहीं, वर्ष 2014 में उनके खिलाफ ‘ब्रेक इन सर्विस’ की कार्रवाई भी की जा चुकी है, जब वे बिना जॉइनिंग के छह महीने तक गायब रहे और इस दौरान मध्यप्रदेश में एक अन्य पद पर कार्यरत पाए गए। यह कार्य अनधिकृत था, जिसके चलते विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई की।

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