प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन
हिंदी साहित्य के वरिष्ठ कवि, कथाकार और उपन्यासकार तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का आज 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अंतिम सांस ली, जहां वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। एम्स प्रबंधन के अनुसार, शाम 4 बजकर 58 मिनट पर उनके निधन की पुष्टि की गई।
विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के उन दुर्लभ रचनाकारों में गिने जाते थे, जिनकी भाषा अत्यंत सरल होते हुए भी गहरी संवेदनशीलता, मानवीय करुणा और दार्शनिक दृष्टि से समृद्ध थी। उनकी रचनाएं आम जनजीवन के अनुभवों, अकेलेपन और संघर्षों को सहज लेकिन प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त करती हैं।

‘नौकर की कमीज’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ जैसी चर्चित कृतियों के माध्यम से उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई दृष्टि और नई भाषा दी। उनकी लेखनी में दिखने वाली सूक्ष्मता और मानवीय भावनाओं की गहराई ने उन्हें पाठकों और साहित्य समीक्षकों के बीच विशेष स्थान दिलाया।
उनका निधन केवल साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति नहीं है, बल्कि यह समूची सांस्कृतिक दुनिया के लिए भी एक युग के अवसान के समान है। उनकी रचनाएं आने वाली पीढ़ियों को संवेदनशीलता, सादगी और मानवीय मूल्यों की प्रेरणा देती रहेंगी।
