अंतरराष्ट्रीय व्यापार तनाव

अमेरिका में भारत पर प्रस्तावित टैरिफ को लेकर बहस; अमेरिकी सांसदों ने इसे उपभोक्ताओं पर बोझ बताया

अमेरिका में भारत से आयातित वस्तुओं पर प्रस्तावित टैरिफ वृद्धि को लेकर राजनीतिक और आर्थिक बहस तेज हो गई है। अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति में हुई चर्चा के दौरान कई सांसदों ने चेतावनी दी कि ऐसे टैरिफ न केवल द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को प्रभावित करेंगे, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी सीधा बोझ डालेंगे।

उपभोक्ता महंगाई बढ़ने का अंदेशा

विपक्षी और कुछ सत्तारूढ़ दलों के सांसदों ने कहा कि भारत से आयात होने वाले उत्पाद—विशेषकर दवाइयाँ, इंजीनियरिंग सामान, परिधान और आईटी-हार्डवेयर—अमेरिकी बाजार में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखते हैं। टैरिफ बढ़ने से इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी और इसका प्रतिकूल प्रभाव सीधे आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

एक सांसद ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला अभी भी स्थिर नहीं हुई है, ऐसे समय में किसी भी अतिरिक्त व्यापारिक बाधा का परिणाम उपभोक्ता महंगाई के रूप में सामने आ सकता है।

उद्योग जगत ने जताई चिंता

अमेरिकी उद्योग संगठनों ने भी इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि भारत कई महत्वपूर्ण उत्पादों का प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता है और टैरिफ लागू होने पर कंपनियों के उत्पादन लागत में वृद्धि होगी, जिससे व्यापार माहौल अस्थिर हो सकता है।

भारत–अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रस्तावित टैरिफ लागू होते हैं, तो दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं पर असर पड़ सकता है। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने टेक्नोलॉजी, रक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया है, लेकिन व्यापार शुल्क से संबंधित मुद्दे अभी भी विवाद का विषय रहे हैं।

आगे की दिशा

अमेरिकी प्रशासन ने फिलहाल इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। चर्चाओं का अगला चरण आने वाले हफ्तों में होने की संभावना है, जिसमें उद्योग संगठनों, नीति विशेषज्ञों और राजनीतिक नेताओं के विचारों को शामिल किया जाएगा।

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